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देहदान का संकल्प लेने वाले आधुनिक महर्षि दधीचियों को एसआरएमएस में मिला सम्मान

देहदान का संकल्प लेने वाले आधुनिक महर्षि दधीचियों को एसआरएमएस में मिला सम्मान। चेयरमैन देवमूर्ति ने कहा कि देहदान जैसा महादान करने वाले हमेशा संसार में अमर रहेंगे।

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Sudhakar Shukla
देहदान करने वाले दानियों को सम्मानित करते हुए चेयरमैन देवमूर्ति

देहदान करने वाले दानियों को सम्मानित करते हुए चेयरमैन देवमूर्ति

अंग वस्त्र, स्मृति चिह्न और सर्टिफिकेट देकर 21 महादानी सम्मानित, सबने देहदान को बताया महादान

  जागरूकता पर दिया जोर -देहदान का संकल्प लेने वालों ने अपनी कहानी सुना सबको देहदान के लिए किया प्रेरित

 -कैडेवरिक शपथ लेकर सम्मान और गरिमा के साथ संभालने के संकल्प लिया

वाईबीएन संवाददाता बरेली।

 एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में देहदान का संकल्प लेने वाले महादानियों को सम्मानित करने के लिए देह से दिव्यता तक कार्यक्रम आयोजित हुआ। एसआरएमएस में देहदान का शपथ पत्र देने वाले लोगों में से 21 आधुनिक महर्षि दधीचियों को इसमें सम्मानित किया गया। सभी ने देहदान को महादान बताया और समाजहित में अधिक से अधिक लोगों को खुद से प्रेरणा लेने पर जोर देते हुए देहदान के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम से पहले एमबीबीएस के विद्यार्थियों ने एनाटॉमी विभाग में कैडेवरिक शपथ लेकर मानव शरीर को अपनी चिकित्सा शिक्षा का प्रथम गुरु मानते हुए उसे सम्मान और गरिमा के साथ संभालने के संकल्प लिया। एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग की ओर से मंगलवार  को देहदान का संकल्प लेने वाले आधुनिक महर्षि दधीचियों को सम्मानित किया गया। संस्थान के चेयरमैन देवमूर्ति ने अंग वस्त्र, स्मृति चिह्न और सर्टिफिकेट देकर सभी को सम्मानित किया। उनके संकल्प को महान और महादान बताते हुए इसकी प्रशंसा की। कहा कि 87 महर्षि दधीचि अब तक एसआरएमएस में अपनी देहदान कर चुके हैं। जबकि 80 महादानियों ने इसके लिए शपथ पत्र दिया है। देहदान का संकल्प लेना और परिजनों की देह मेडिकल कालेज को सौंपना हिम्मत का काम है। देहदान जैसा महादानी काम करने वाले लोग हमेशा अमर रहेंगे। इससे पहले एनाटॉमी डिपार्टमेंट की एचओडी डा.नमिता मेहरोत्रा ने देहदान का शपथ पत्र देने वाले सभी अतिथियों का कार्यक्रम में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आपका यह निस्वार्थ दान मानवता की सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है। आपके इस सर्वोच्च दान से प्रेरणा लेकर निसंदेह और लोग भी महादान के लिए प्रेरित होंगे। इससे विद्यार्थियों को कुशल और अनुभवी चिकित्सक बनने में मदद मिलेगी। आप सब निसंदेह आधुनिक महर्षि दधीचि हैं। सभी का आभार। कार्यक्रम के अंत में डा.शंभु प्रसाद ने सभी का आभार जताया और धन्यवाद ज्ञापित किया। इस वसर पर डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन आदित्य मूर्ति जी, प्रिंसिपल एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, डा.धनंजय कुमार, डा.समता तिवारी, सभी विभागाध्यक्ष और एमबीबीएस बैच 2025 के विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डा.कंचन बिष्ट ने किया।

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 बहन के देहदान के बाद सुभाष ने पत्नी उषा सहित लिया संकल्प एसआरएमएस ट्रस्ट के सलाहकार, जनकपुरी निवासी इंजीनियर सुभाष मेहरा की बहन कुमारी चंचल मल्होत्रा का देहांत 17 जुलाई को हुआ था। उनकी अंतिम इच्छापूर्ति के लिए सुभाष मेहरा ने उनका शव एसआरएमएस मेडिकल कालेज में बच्चों की पढ़ाई के लिए दान किया। अविभाजित भारत के रावलपिंडी में जन्मे सुभाष मेहरा (77 वर्ष) ने आईवीआरआई में साइंटिस्ट रही पत्नी उषा रानी मेहरा (74 वर्ष) के साथ खुद भी देहदान का संकल्प लिया। समाजहित में देहदान को सर्वोपरि बताते हुए सुभाष मेहरा कहते हैं कि बहन के संकल्प के दौरान ही हम दोनों ने भी यह फैसला किया। खुशी है कि हमारा शरीर मेडिकल के विद्यार्थियों के काम आएगा और उन्हें सफल चिकित्सक बन लोगों को स्वस्थ करने में मदद करेगा।

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इनसेट----- मां- बेटे दोनों ने एक साथ लिया देहदान का फैसला उषा रानी सक्सेना (69 वर्ष) सरकारी स्कूल में शिक्षक थीं। सेवानिवृत्ति के बाद तीन वर्ष पहले उन्होंने देहदान करने की इच्छा बेटे प्रांजल सक्सेना (36 वर्ष) को बताई। शिक्षक बेटे ने उनका समर्थन किया और खुद भी देहदान का संकल्प लिया। इसके लिए शपथपत्र बनवाने में तमाम सवालों का सामना करना पड़ा। देहदान के संबंध में उषा रानी कहती हैं कि अंतिम संस्कार के लिए क्यों लकड़ी पर खर्च करें। शोध के लिए देहदान करें। प्रांजल कहते हैं कि मां की इच्छा के बाद वर्ष 2022 में जब उन्हें शपथ पत्र मिला वह धनतेरस का दिन था। तब से वह धनतेरस को तनतेरस के रूप में मनाते हैं। प्रांजल कहते हैं कि संसार की सभी वस्तुएं ताप और दाब से दूसरे रूप में बदलती हैं ऐसे में दूसरे रूप में बदलने से अच्छा है शरीर का दान करें। इनसेट----

- पिता के देहदान के बाद मां ने ली शपथ, दोनों बेटों का भी संकल्प डाइट फरीदपुर में शिक्षक श्रीकांत मिश्रा अपनी माता डा.लता मिश्रा (72 वर्ष) के स्थान पर समारोह में शामिल हुए। उन्होंने देहदान को महादान बताया। कहा कि पिता विष्णु प्रकाश मिश्रा ने बीस वर्ष की उम्र में देहदान का संकल्प लिया था। 22 जनवरी 2023 में उनके निधन के बाद एसआरएमएस मेडिकल कालेज में देहदान की उनकी अंतिम इच्छा पूरी हुई। मां डा.लता मिश्रा ने भी पिता के संकल्प को आगे बढ़ाया और देहदान का संकल्प लिया है। आज उन्हीं के स्थान पर समारोह में शामिल होने का मौका मिला। श्रीकांत कहते हैं कि पिता और माता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम दोनों भाइयों ने भी देहदान का फैसला लिया है और जल्द ही औपचारिकताएं पूरी कर इसका शपथ पत्र एसआरएमएस मेडिकल कालेज को सौंपेंगे।

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 देहदान के लिए परिवार को समझाना बेहद मुश्किलः डा.नूपुर गोयल देहदान का संकल्प लेने वाली रामपुर गार्डन निवासी पेशे से चिकित्सक डा.नूपुर गोयल (42 वर्ष) कहती हैं कि यह फैसला खुद का होता है लेकिन इसकी पूर्ति के लिए परिवार को समझाना बेहद मुश्किल काम है। क्योंकि इस इच्छा की पूर्ति परिजनों पर ही निर्भर होती है। हमारे घर में भी यही हुआ। आखिरकार सब मान गए। डा.नूपुर कहती हैं कि सातवीं कक्षा में स्कूल में एक कंकाल को देख कर उन्हें देहदान की प्रेरणा मिली थी। हालांकि इसके लिए शपथ पत्र भरने का मौका 42 वर्ष की उम्र में मिला। देहदान के अपने फैसले के संबंध में डा.नूपुर कहती हैं कि मरने के बाद शरीर शिक्षा के लिए काम आए, इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को आगे आना चाहिए। लेकिन जागरूकता की कमी से ऐसा नहीं होता।

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शरीर को नष्ट करने से अच्छा देह का महादानः राजेंद्र अग्रवाल माडल टाउन निवासी राजेंद्र प्रकाश अग्रवाल (68 वर्ष) शरीर को नष्ट करने के बजाय देहदान को सबसे बेहतर बताते हैं। कहते हैं कि जागरूकता की कमी, देहदान के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया, सामाजिक डर और सामाजिक दवाब की वजह से देहदान करने से लोग पीछे हट जाते हैं। इसमें धार्मिक मान्यताएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आधुनिक युग में पुरानी मान्यताओं को स्वीकार करने के बजाय तर्क संगत बात करनी चाहिए। जब पंचतत्व से बना शरीर नष्ट हो जाता है। सब पंच तत्व में मिल जाता है और कुछ बचता ही नहीं, तब पुनर्जन्म जैसी मान्यताएं बेमानी हैं। ऐसे में शरीर को जलाने के बजाय समाजहित में, शिक्षा के लिए इसका दान ही सबसे अच्छा उपाय है। धार्मिक मान्यताएं छोड़ कर लोगों को देहदान के लिए आगे आना चाहिए।

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देहदान का संकल्प लेने वाले ये हैं आज के महर्षि दधीचि 1. इंजीनियर सुभाष मेहरा (77 वर्ष), जनकपुरी, बरेली 2. डा.उषा रानी मेहरा (74 वर्ष), जनकपुरी, बरेली 3. श्याम सुंदर अरोरा (68 वर्ष), राजेंद्रनगर, बरेली 4. भूदेव झा (65 वर्ष), संजय नगर, बरेली 5. धर्मवीर आर्य (62 वर्ष), खानद्रामनगर (देवरनिया), बरेली 6. यतीश मोहन गुप्ता (63 वर्ष), बागेटोला, बदायूं 7. डा. बीबीएल माथुर (76 वर्ष), राजेंद्रनगर, बरेली 8. रमेश शर्मा महाभारती (76 वर्ष), पीपल सना चौधरी, बरेली 9. डा.नूपुर गोयल (42 वर्ष), रामपुर गार्डन, बरेली 10. राजेंद्र प्रकाश अग्रवाल (68 वर्ष), माडल टाउन, बरेली 11. वेद प्रकाश पोरवाल (68 वर्ष), आशुतोष सिटी, बरेली 12. संकुख किरपलानी (62 वर्ष), माडल टाउन, बरेली 13. प्रसादी लाल (75 वर्ष), बेकमपुर (नवाबगंज), बरेली 14. उषा रानी सक्सेना (69 वर्ष), निकट बालाजी मंदिर, बदायूं रोड बरेली 15. प्रांजल सक्सेना (36 वर्ष), निकट बालाजी मंदिर, बदायूं रोड बरेली 16. चंद्र प्रकाश कश्यप (60 वर्ष), इंद्रापुरम कालोनी, बरेली 17. देवेंद्र कुमार साहनी (61 वर्ष), ग्रेटर आकाश कालोनी, बरेली 18. डा.लता मिश्रा (72 वर्ष), पटियाली सराय, बदायूं 19. डा.नीरज चंद्र जोशी (41 वर्ष), न्यू शारा, पिथौरागढ़ 20. जय प्रकाश देवलाल (57 वर्ष), ग्राम निरादा, अछोली, पिथौरागढ़ 21. जनार्दन पुनेठा (57 वर्ष), कुजौली, पिथौरागढ़

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