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नगर निगम बरेली
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
आठ साल पहले बरेली को सिंगापुर की तर्ज पर स्मार्ट बनाने के सपने दिखाने वाले माननीय के कार्यकाल के दौरान 12% एडवांस कमीशन लेने, उसके बाद अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को हवाई मार्ग से पर्यटन स्थलों की सैर कराने और पार्षदों को लिफाफा और अटैची देने की संस्कृति ने सब नष्ट कर दिए। नगर निगम के निर्माण कार्यों में 45% कमीशन और उसके बाद ठेकेदारों के मनमाने तरीके से कराए जाने वाले घटिया गुणवत्ता के निर्माण कार्यों ने स्मार्ट बनाने की जगह बरेली को गर्त में धकेल दिया। अब आने वाले दो साल में भी शहर का विकास तो भगवान के भरोसे है, लेकिन, ऊंचे पदों पर विराजमान दरबारी नेता, पार्षद और अन्य जिम्मेदार भ्रष्टाचार की कमाई में अपना हिस्सा पाकर गदगद हैं। शहर की हालत दिन पर दिन बद से बदतर होती जा रही है।
आठ साल में नहीं चल पाया सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
सपा सरकार में नगर निगम ने शहर से प्रतिदिन निकलने वाले 450 मीट्रिक टन से अधिक कूड़े का निस्तारण करने के लिए शाहजहांपुर-लखनऊ रोड पर 13.69 करोड़ रुपए की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की स्थापना की थी। अपने निजी फायदे की खातिर कुछ लोगों ने कोर्ट कचहरी के फेर में फंसाकर उस प्लांट को बंद करा दिया। उसके बाद नगर निगम को 100 बीघे जमीन 100 रुपए के स्टांप पेपर पर लिखकर बिना रजिस्ट्री कराए दान में देने की झूठी बातें प्रचारित हुई। नाम न प्रकाशित करने की गुजारिश पर शहर के एक जनप्रतिनिधि का कहना है कि आज शहर के कूड़ा निस्तारण के हालात यह हैं कि प्लांट बंद है। नगर निगम की दस एकड़ से ज्यादा जमीन, जिसकी कीमत अरबों रुपए की है, एक प्राइवेट संस्थान ने अनधिकृत तरीके से कब्जा कर रखी है। उस जमीन पर कभी गरीबों की कॉलोनी बनाने की बातें होती हैं तो कभी कोई दूसरा ड्रीम प्रोजेक्ट बनाने का सपना दिखाकर अपना चूर्ण बेचा जाता है। मगर, आखिर में सब प्लान हवा का गुब्बारा बनकर उड़ जाता है। नई जगह पर फरीदपुर के नदी किनारे वाले गांव में बीते आठ साल में कूड़ा निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट आज तक चालू नहीं हो पाया। शहर की जनता को आठ साल से स्मार्ट सिटी बनाने वाले झूठ का चूर्ण लगातार खिलाकर मूर्ख बनाया जा रहा है। जबकि अब तो कार्यकाल भी मात्र ढाई साल का बचा है।
नगर निगम में अटैची, लिफाफा और एडवांस कमिशन की संस्कृति की झलक (कैमरे की नजर से देखिए)
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