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बिहार चुनाव 2025: दुलारचंद हत्याकांड में JDU प्रत्याशी अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने चुनावी समीकरण हिला दिए

बिहार चुनाव 2025 से ठीक पहले मोकामा में दुलारचंद हत्याकांड में JDU प्रत्याशी अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना, पोस्टमॉर्टम और CID जांच ने चुनावी माहौल गरमा दिया है। पढ़ें क्या मायने रखता है और इसका प्रभाव क्या हो सकता है।

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YBN Bihar Desk
Anant Singh case

विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान केवल दो दिन दूर है और ऐसे समय में मोकामा में हुई हिंसा और उसके बाद की कार्रवाई ने चुनावी माहौल को तेज कर दिया है। दुलारचंद यादव की निर्मम हत्या के सिलसिले में मोकामा के जदयू प्रत्याशी और पूर्व विधायक अनंत सिंह को देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तारी वीडियो फुटेज, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर की गई है, जिससे यह मामला अब और संवेदनशील बन गया है।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और घटनास्थल के प्रारम्भिक निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि मृतक पर गोली भी चलाई गई थी और बाद में उसे कुचल कर हताहत किया गया। यही वजह है कि मामला स्थानीय तनाव से बढ़कर व्यापक कानूनी जांच का विषय बन गया है। आरोपियों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर में हत्या और हिंसा से जुड़े गंभीर आरोप शामिल हैं और जांच अब सीआईडी को सौंप दी गई है।

गिरफ्तारी के बाद अनंत सिंह ने सोशल मीडिया पर अपना तेज रुख बरकरार रखते हुए जनता पर भरोसे का इज़हार किया और कहा कि अब मोकामा की जनता ही इस चुनाव को लड़ेगी। उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। प्रशासन ने हालात नियंत्रित रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और कई चेकिंग प्वाइंट स्थापित कर दिए हैं ताकि मतदान शांतिपूर्ण ढंग से हो सके।

इस गिरफ्तारी का राजनैतिक असर सीधा है। विपक्ष इसे कानून-व्यवस्था की विफलता और चुनावी हिंसा की गंभीरता के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सत्तापक्ष गिरफ्तारी को कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया गया आवश्यक कदम बता रहा है। दोनों तरफ के तर्कों में चुनावी लाभ-हानि का गणित स्पष्ट है: मोकामा जैसी संवेदनशील सीट पर ऐसी घटना मतदाताओं के मन में सुरक्षा और विश्वास के सवाल खड़े कर देती है, जो मतदान के बयानों और बोली जा रही वादों पर असर डाल सकती है।

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महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इस घटना और राज्य में बढ़ते अपराध पर तीखा बयान दिया और वादा किया कि उनकी सरकार बनने पर राज्य से अपराधियों का सफाया करेंगे और सख्त कार्रवाई होगी। तेजस्वी के इस कड़े रुख का मकसद स्पष्ट है: चुनावी एजेंडा कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर केंद्रित करना ताकि वे शहरी और ग्रामीण दोनों वर्गों के मतदाताओं के मन में सुरक्षा का भरोसा जमा सकें। विपक्षी नेताओं की यह रणनीति वर्तमान घटना को बड़े चुनावी नैरेटिव में जोड़ने की कोशिश है।

प्रशासनिक स्तर पर पटना डीएम और पुलिस प्रशासन ने कहा है कि वे हर संभव कदम उठा रहे हैं ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष हो। 100 प्रतिशत हथियार जब्ती, अतिरिक्त चेकिंग प्वाइंट और कानून का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करने की घोषणाएं की गई हैं। हालांकि चुनावों से ठीक पहले ऐसे घटनाक्रम से भरोसा बहाल करने की चुनौती बढ़ जाती है। सुरक्षा तंत्र पर भरोसा बहाल करना और कोर्ट के समक्ष सबूतों के दम पर मुकदमे चलाना अब सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

निष्कर्ष यह है कि अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने मोकामा की स्थानीय राजनीति से आगे जाकर राज्य की चुनावी बहस का स्वर बदल दिया है। अदालत और जांच एजेंसियों के कदम को अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनता के फैसले के समय कसौटी पर तौलना होगा। अगले कुछ दिनों में विधिक प्रक्रिया, मीडिया कवरेज और जनभावना तीनों मिलकर यह तय करेंगे कि इस मामले का वास्तविक चुनावी प्रभाव क्या रहेगा।

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