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Bihar Election 2025: किसी सीट पर 22 तो कहीं सिर्फ 5 उम्मीदवार! जानिए किन विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा और सबसे कम दावेदार मैदान में

Bihar Election 2025 में उम्मीदवारों की संख्या को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। चेनारी, सासाराम और गया टाउन सीटों पर सबसे ज्यादा 22 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि लौरिया और परबत्ता जैसी सीटों पर सिर्फ 5-5 प्रत्याशी हैं। जानें चुनावी गणित का पूरा विश्लेषण।

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YBN Bihar Desk
Bihar Assembly Election Candidates

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी मैदान में उम्मीदवारों की भीड़ बढ़ती जा रही है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों की भरमार है, तो कुछ सीटों पर मुकाबला बेहद सीमित नजर आ रहा है। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, इस बार सबसे ज्यादा 22-22 उम्मीदवार चेनारी (रोहतास), सासाराम (रोहतास) और गया टाउन (गया) सीटों से मैदान में हैं। वहीं, सिर्फ 5-5 उम्मीदवार लौरिया (पश्चिम चंपारण), वाल्मिकीनगर (प. चंपारण), राजमार (पूर्वी चंपारण), अलौली (खगड़िया), परबत्ता (खगड़िया) और त्रिवेणीगंज (सुपौल) जैसे सीटों पर ताल ठोक रहे हैं।

इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार की राजनीति में क्षेत्रवार उत्साह और प्रतिस्पर्धा का स्तर काफी अलग-अलग है। जहां कुछ सीटों पर त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबले की संभावना है, वहीं कई क्षेत्रों में सीधे दो या तीन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच टक्कर होगी। माना जा रहा है कि जहां ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं, वहां जातीय समीकरणों का असर ज्यादा देखने को मिलेगा, जबकि कम उम्मीदवार वाले क्षेत्रों में दल आधारित वफादारी निर्णायक साबित हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर, गया टाउन और सासाराम जैसी सीटें पारंपरिक रूप से राजनीतिक रूप से सक्रिय इलाकों में गिनी जाती हैं। यहां हर चुनाव में नए चेहरे किस्मत आजमाते हैं। वहीं, लौरिया और परबत्ता जैसी सीटों पर सीमित उम्मीदवारों की मौजूदगी बताती है कि वहां के मतदाता पहले से ही एक या दो मजबूत राजनीतिक ध्रुवों के प्रति झुके हुए हैं।

उदाहरण के तौर पर, गया टाउन और सासाराम जैसी सीटें पारंपरिक रूप से राजनीतिक रूप से सक्रिय इलाकों में गिनी जाती हैं। यहां हर चुनाव में नए चेहरे किस्मत आजमाते हैं। वहीं, लौरिया और परबत्ता जैसी सीटों पर सीमित उम्मीदवारों की मौजूदगी बताती है कि वहां के मतदाता पहले से ही एक या दो मजबूत राजनीतिक ध्रुवों के प्रति झुके हुए हैं।

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वैसे ट्रेंड यह भी रहा है कि जहां उम्मीदवारों की संख्या अधिक होती है, वहां वोटों का बिखराव ज्यादा होता है, जिससे प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को अपेक्षाकृत फायदा मिल सकता है। वहीं कम उम्मीदवारों वाले क्षेत्रों में वोटों का सीधा ध्रुवीकरण देखने को मिलेगा, जिससे रिजल्ट तेजी से तय हो सकता है।

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