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कलियुग का वैकुंठ वास है द्वारका तिरुमला मंदिर, घोर तपस्या के बाद स्वयं प्रकट हुए थे भगवान वेंकटेश्वर

द्वारका तिरुमला मंदिर आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने की बहुत सारी सुविधाएं हैं। मंदिर के पास रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों मौजूद हैं। एलुरु शहर से 42 किलोमीटर पर रेलवे जंक्शन है।

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Mukesh Pandit
Dwaraka Tirumala Temple

दक्षिण भारत के ज्यादातर मंदिर भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु को समर्पित हैं। साथ ही भगवान शिव और पार्वती को भी समर्पित मंदिर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है। आंध्र प्रदेश में ऐसा ही मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और मंदिर की वास्तुकला और एरिया बहुत उत्कृष्ट हैं। 

मंदिर तक पहुंचने की काफी सुविधाएं

द्वारका तिरुमला मंदिर आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने की बहुत सारी सुविधाएं हैं। मंदिर के पास रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों मौजूद हैं। एलुरु शहर से 42 किलोमीटर पर रेलवे जंक्शन है। अगर आप भीमाडोले की तरफ से आते हैं तो 15 किलोमीटर पर ही रेलवे जंक्शन मौजूद है। मंदिर पहाड़ी पर बसा है तो भक्त सीढ़ियों के जरिए मंदिर तक पहुंचते हैं। यह मंदिर भक्तों की आध्यात्मिक शांति का केंद्र है। भक्तों का मानना है कि भगवान विष्णु के दर्शन के बाद मन शांत हो जाता है और आध्यात्मिक शांति मिलती है।

ऋषि 'द्वारका' की तपस्या से भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा प्रगट हुई 

अगर मंदिर की स्थापना की बात करें तो माना जाता है कि महान ऋषि 'द्वारका' ने चींटियों के टीले पर बैठकर सालों तक भगवान विष्णु की पूजा की थी और तब वहां स्वयंभू भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा प्रकट हुई थी। प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 11वीं शताब्दी में म्यावलवरम जमींदारों ने मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। भक्तों के बीच श्री वेंकटेश्वर को कलियुग वैकुंठ वास के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान विष्णु को प्रिय सभी चीजें रखी जाती हैं

द्वारका तिरुमला मंदिर बहुत बड़े एरिए में बना है और वहां भगवान विष्णु को प्रिय सभी चीजें रखी जाती हैं। मंदिर में आपको बाग-बगीचे, गौवंश की प्रतिमा, और भगवान विष्णु के बाल रूप भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा भी देखने को मिल जाएगी। मंदिर में भक्तों के लिए अलग-अलग सेवाएं भी रखी गई हैं, जिनका शुल्क भी निर्धारित है, जिसमें डेली सुबह की पूजा में सुप्रभात सेवा, अस्तोत्तारा सतानामार्चना, और नित्या अर्जिता कल्याणम शामिल है। सुप्रभात सेवा और अस्तोत्तारा सतानामार्चना सेवा करने के लिए भक्तों को 300 रुपए का भुगतान करना होगा, जबकि नित्या अर्जिता कल्याणम करने के लिए भक्तों को 2000 रुपए देने होंगे।

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मंदिर के आसपास कई ऐसी जगह हैं, जहां पर्यटक घूमने के लिए भी जा सकते हैं। मंदिर के 35 किलोमीटर के दायरे में श्री कुंकुलम्मा वारी मंदिर, श्री संतान वेणुगोपाल जगन्नाध स्वामी मंदिर, और श्री अंजनेय और श्री सुब्रह्मण्येश्वर स्वामीवर्ला मंदिर मिल जाएंगे। आईएएनएस : Dwarka Tirumala temple | Hindu Pilgrimage | Lord Venkateswara 



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