Advertisment

ग्रेस केली: हॉलीवुड की ऐसी अदाकारा जिनकी जिंदगी परी कथा सरीखी, अंत दर्दनाक

एक अभिनेत्री अपनी कला, अपनी इच्छाओं, अपनी पहचान और अपने भाग्य के बीच लगातार संघर्ष करती रही। फिलाडेल्फिया में 12 नवंबर 1929 को जन्मी ग्रेस को मंच से लगाव था। उन्हें लगता था कि कैमरा उनके सामने आते ही दुनिया थोड़ी शांत हो जाती है। 

author-image
Mukesh Pandit
Hollywood actress

हॉलीवुड की खूबसूरत अदाकाराग्रेस केली की जिंदगी किसी परीकथा की तरह शुरू हुई और एक ट्रैजेडी पर आकर थम गई। उनकी कहानी उस रोशनी और सन्नाटे की दास्तान है जिसमें एक अभिनेत्री अपनी कला, अपनी इच्छाओं, अपनी पहचान और अपने भाग्य के बीच लगातार संघर्ष करती रही। फिलाडेल्फिया में 12 नवंबर 1929 को जन्मी ग्रेस को मंच से लगाव था। उन्हें लगता था कि कैमरा उनके सामने आते ही दुनिया थोड़ी शांत हो जाती है। अभिनय उनके लिए शौक नहीं, एक तरह का सुकून था—एक जगह जहां वे खुद को संपूर्ण महसूस करती थीं। यही भावना उन्हें ब्रॉडवे से हॉलीवुड लेकर आई, और वहीं से उनका सितारा इतनी तेजी से चमका कि मात्र कुछ वर्षों में वे दुनिया की सबसे चर्चित और सम्मानित अभिनेत्रियों में शामिल हो गईं।

शांत, सटीक और भीतर से मजबूत

अल्फ्रेड हिचकॉक उन्हें अपनी ‘आइडियल हीरोइन’ कहते थे और ग्रेस समझती थीं कि उनकी सुंदरता ही नहीं, उनका संयम और स्क्रीन पर पैदा होने वाली एक अद्भुत शांति उन्हें अलग बनाती है। “रियर विंडो”, “टू कैच अ थीफ” और “हाई सोसाइटी” जैसी फिल्मों में उनके किरदार अक्सर किसी रहस्य की तरह सामने आते। शांत, सटीक और भीतर से मजबूत।

 मोनैको के प्रिंस रेनियर से मुलाकात ने बदली जिंदगी

ग्रेस खुद कहा करती थीं कि कैमरे के सामने आने वाला उनका आत्मविश्वास असल जिंदगी में नहीं था। उन्हें लगता था कि असली ग्रेस पर्दे पर ही दिखती है, जबकि वास्तविक जीवन में वे अक्सर असहज और संकोची पड़ जाती थीं। उनकी जिंदगी में आए एक अप्रत्याशित मोड़ आया। मोनैको के प्रिंस रेनियर से उनकी मुलाकात हुई और सब कुछ बदल दिया।

ग्रेस का दिल मानो एक नई दुनिया की ओर खिंच गया—जहां चमक थी, राजसी परंपरा थी और एक तरह का स्थायित्व था। उन्होंने अभिनय छोड़ने का निर्णय बहुत सोच-विचार के बाद लिया, लेकिन वे स्वीकारती थीं कि यह फैसला जितना सुंदर दिखता था, उतना आसान नहीं था। उन्हें अपने करियर से गहरा लगाव था, पर एक नई पहचान का आकर्षण भी उतना ही तीव्र था।

Advertisment

पीछे छूट गई निजी स्वतंत्रता

शादी के बाद वे प्रिंसेस ग्रेस बनकर एक ऐसे जीवन में प्रवेश कर गईं जिसमें जिम्मेदारियां अधिक थीं, और निजी स्वतंत्रता कहीं पीछे छूट गई थी। उन्होंने कई बार कहा था कि कैमरे की दुनिया से दूर जाना अतीत को पीछे छोड़ देने जैसा था—एक मीठा दुख, जिसे वे मुस्कुराकर स्वीकार कर रही थीं।

मोनैको में उनका जीवन बाहर से जितना परिपूर्ण दिखता था, भीतर उतना ही चुनौतीपूर्ण था। वे चाहती थीं कि लोग उन्हें सिर्फ एक राजकुमारी नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में देखें। जो अपने बच्चों की परवरिश, राज्य के सामाजिक कार्यों और निजी भावनाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।

 परीकथाएं भी कभी-कभी अधूरी रह जाती हैं

12 सितंबर 1982 की वह दोपहर उनकी कहानी को अचानक एक अंधे मोड़ पर ले गई, जब मोनैको में कार चलाते हुए उन्हें स्ट्रोक आया और गाड़ी खाई में गिर गई। उनकी बेटी गंभीर रूप से घायल हुई, और अगले ही दिन ग्रेस ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। इस हादसे ने दुनिया को हिला दिया क्योंकि यह अंत उस अभिनेत्री का था जिसका जीवन कभी किसी फिल्म की तरह उजाला बिखेरता था। लोग इस बात को भूल नहीं पाए कि परीकथाएं भी कभी-कभी अधूरी रह जाती हैं। आईएएनएस  : Hollywood actress | hollywood News | Hollywood actor | entertainment news | entertainment

Advertisment

entertainment entertainment news Hollywood actor hollywood News Hollywood actress
Advertisment
Advertisment