/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/12/img-20251112-wa0171-2025-11-12-15-12-11.jpg)
कर बाजार
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
जिले में पुराने वाहनों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, लेकिन इस व्यापार के पीछे भारी अनियमितताएं छिपी हैं। जिले में 100 से अधिक डीलर बिना ट्रेड सर्टिफिकेट के पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल नियमों के उल्लंघन का उदाहरण है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी गंभीर जोखिम पैदा करती है। बताया जा रहा है कि इनमें से लगभग 40% ऐसे युवक कारोबार को अंजाम दे रहे हैं जो धर्म विशेष से आते हैं साथ ही वह गाजियाबाद के स्थाई नागरिक भी नहीं है।
पुराने वाहनों का है वर्चस्व
आरटीओ कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद में प्रतिदिन करीब 150 से अधिक वाहनों का स्थानांतरण होता है, जिनमें से लगभग 100 वाहन पुराने वाहन बाजार से खरीदे-बेचे जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी भी डीलर ने आरटीओ कार्यालय से ट्रेड सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया है। जबकि, कानून के अनुसार किसी भी वाहन डीलर को वाहन खरीदने, बेचने या उन्हें चलाने के लिए ट्रेड सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। यह सर्टिफिकेट वाहन को अस्थायी रूप से डीलर के नाम पर वैध बनाता है, जब तक कि उसे अंतिम खरीदार के नाम पर स्थानांतरित न किया जाए।
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/12/img-20251112-wa0161-2025-11-12-15-12-56.jpg)
अनियमित बाजार
आरटीओ प्रमोद कुमार सिंह के अनुसार, “अभी तक किसी भी पुराने वाहन डीलर ने ट्रेड सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं किया है। विभाग ने केवल नए वाहन शोरूम संचालकों — लगभग 200 — को ही ट्रेड सर्टिफिकेट जारी किए हैं।” इसका अर्थ है कि पुराने वाहन बाजार में कारोबार पूरी तरह अनियमित रूप से चल रहा है।
सड़क किनारे लगते हैं पुराने वाहनों के बाजार
गाजियाबाद के विभिन्न क्षेत्रों — नेहरू नगर, राज नगर, वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम और पुराने बस अड्डे — में पुराने वाहनों के बाजार खुलेआम सजते हैं। अनुमान है कि जिले में करीब छह हजार से अधिक पुराने वाहन बिक्री के लिए खड़े रहते हैं। डीलर अपनी दुकानों के बाहर सड़क किनारे वाहन खड़े कर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। वाहन बिकने के बाद, डीलर स्वयं स्थानांतरण की प्रक्रिया संभालते हैं, जबकि आरटीओ के पास इन वाहनों के सत्यापन या रिकॉर्ड जांच की कोई व्यवस्था नहीं है।
दस्तावेज़ सत्यापन में लापरवाही
वाहनों के दस्तावेज़ों के सत्यापन में भी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। नामों में हेराफेरी या असंगत जानकारी को नज़रअंदाज कर दिया जाता है। कई बार खरीदार आरसी जैसे भौतिक दस्तावेजों की जांच भी नहीं करते और केवल डिजिटल प्रतियों पर भरोसा कर लेते हैं। बाद में कई खरीदारों को यह पता चलता है कि खरीदा गया वाहन किसी ऋण या विवाद में उलझा हुआ है।
ऑनलाइन कारोबार भी अनियमित
ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से भी पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री तेजी से बढ़ रही है। कई निजी कंपनियां गाजियाबाद में शाखा कार्यालय खोलकर पुराने वाहन बेच रही हैं, लेकिन उनके पास भी स्थानीय आरटीओ से ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ये कंपनियां “बिना आरटीओ चक्कर” की गारंटी देती हैं और एजेंटों के माध्यम से दस्तावेज़ों का हस्तांतरण कराती हैं।
लापरवाही से बढ़ रहा जोखिम
इस पूरे अव्यवस्थित सिस्टम में सबसे बड़ा नुकसान ग्राहकों को हो रहा है। बिना सत्यापन के खरीदे गए वाहन चोरी, धोखाधड़ी या आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाए जा सकते हैं। ऐसे मामलों में जिम्मेदारी तय करना मुश्किल हो जाता है।गाजियाबाद में पुराने वाहनों के कारोबार को वैध और पारदर्शी बनाने के लिए आरटीओ को सख्ती बरतनी होगी। बिना ट्रेड सर्टिफिकेट कारोबार करने वाले डीलरों के खिलाफ कार्रवाई और निगरानी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। जब तक नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया जाएगा, तब तक यह अनियमित बाजार जनता के भरोसे और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बना रहेगा।
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us