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Education : चिल्ड्रन डे पर भारी पड़ा प्रदूषण का प्रकोप

बढ़ते प्रदूषण ने इस बार चिल्ड्रन डे की खुशियों पर भी असर डाल दिया। शहर में एयर क्वालिटी लगातार ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की जा रही है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने कक्षा 1 से 5 तक के सभी स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी है। आमतौर पर 14 नवंबर का दिन बच्चों

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Syed Ali Mehndi
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काल्पनिक चित्र

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

बढ़ते प्रदूषण ने इस बार चिल्ड्रन डे की खुशियों पर भी असर डाल दिया। शहर में एयर क्वालिटी लगातार ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की जा रही है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने कक्षा 1 से 5 तक के सभी स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी है। आमतौर पर 14 नवंबर का दिन बच्चों के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि इसी दिन देशभर में चिल्ड्रन डे बड़े उत्साह और विभिन्न गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए स्कूल बंद करने का फैसला जरूरी हो गया।

स्पेशल चिल्ड्रन डे 

स्कूलों के बंद होने के बावजूद कई निजी एवं कुछ सरकारी स्कूलों ने ऑनलाइन माध्यम से बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। कुछ स्कूलों ने अपने यहां पहले से तय कार्यक्रमों को सीमित संख्या में बच्चों के साथ सम्पन्न किया। जहां एक ओर स्कूल कैंपस में बच्चों की चहल-पहल कम दिखाई दी, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों ने बच्चों के लिए वर्चुअल मंच पर कविताएं, कहानी सत्र, ड्राइंग प्रतियोगिता और क्विज जैसे कार्यक्रम रखकर चिल्ड्रन डे को खास बनाने की कोशिश की।

प्रदूषण है गंभीर समस्या 

प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने माता-पिता की चिंता भी बढ़ा दी है। कई अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इस तरह की स्थिति नहीं देखी थी कि बच्चों को त्योहार जैसे दिनों पर भी घरों में ही रहना पड़े। डॉक्टर्स भी आगाह कर चुके हैं कि ये प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों के विकास पर बुरा असर डाल सकता है। यही वजह है कि स्कूल प्रशासन और अभिभावक दोनों ही बच्चों को बाहर निकलने से रोक रहे हैं।

तकनीक का इस्तेमाल

वहीं, स्कूलों में चिल्ड्रन डे का उत्सव मनाने की परंपरा को कायम रखने के लिए शिक्षकों ने सोशल मीडिया और शिक्षा ऐप्स के जरिए बच्चों को शुभकामनाएं दीं और उन्हें सकारात्मक संदेश भेजे। कई स्कूलों ने बच्चों के लिए वीडियो संदेश जारी किए, जिनमें उन्हें पौधरोपण, सफाई और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया गया। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण जागरूकता बढ़ाना था, ताकि आने वाले समय में प्रदूषण की समस्या से निपटने में समाज को जागरूक नागरिक मिल सकें।

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