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गिलोय: तीन दोषों को संतुलित कर कैंसर से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधि

गिलोय एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो शरीर के तीन मुख्य दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है। यह आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गिलोय को गुडूची या अमृता भी कहते हैं। यह एक लता होती है जिसके तने और पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

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YBN News
Giloy

Giloy Photograph: (ians)

नई दिल्ली। आयुर्वेद में गिलोय को अमृत कहा गया है क्योंकि यह शरीर के तीनों दोष - वात, पित्त और कफ- को संतुलित करने में मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और रोग प्रतिरोधक गुण शरीर को बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। गिलोय कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक मानी जाती है क्योंकि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है और हानिकारक कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करती है। नियमित रूप से गिलोय का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और समग्र स्वास्थ्य बेहतर रहता है।जरूरी नहीं कि हर शारीरिक समस्या के लिए दवाओं का सहारा लिया जाए। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी लड़ने में सहायक है। 

 गिलोय एक ऐसी जड़ी-बूटी

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, गिलोय एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो शरीर के तीन मुख्य दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है। यह आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गिलोय को गुडूची या अमृता भी कहते हैं। यह एक लता होती है जिसके तने और पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स 

गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसके अलावा, गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, यानी यह सूजन को कम करती है। सबसे खास बात यह है कि इसमें कैंसर रोधी गुण भी मौजूद हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में मदद कर सकते हैं।

कई आम बीमारियों में राहत

गिलोय कई आम बीमारियों में राहत देती है। बुखार होने पर गिलोय का सेवन जल्दी आराम दिला सकता है। पीलिया में यह लिवर को मजबूत बनाने में मददगार है। गठिया के दर्द और जोड़ों की सूजन में यह बहुत फायदेमंद है। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी गिलोय फायदेमंद है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक है। कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी पेट की समस्याओं में यह पाचन तंत्र को सुधारती है। मूत्र संबंधी समस्याओं जैसे जलन या संक्रमण में भी गिलोय राहत पहुंचाती है।

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बीमारियों का मुख्य कारण

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में वात, पित्त और कफ का असंतुलन ही बीमारियों का मुख्य कारण होता है। गिलोय इन तीनों दोषों को संतुलित करती है। वात दोष से होने वाली बेचैनी, पित्त से जलन और कफ से भारीपन में यह नियंत्रण लाती है। इससे शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान रहता है।

गिलोय का उपयोग आसान

गिलोय का उपयोग आसान है। इसका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं, चूर्ण के रूप में ले सकते हैं या टैबलेट भी उपलब्ध हैं। लेकिन किसी भी औषधि की तरह, इसे डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह के बाद लेना चाहिए।

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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