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H-1B संकट गहराया : भारतीयों के H-1B वीजा में 40% की गिरावट

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी इमिग्रेशन नीति के चलते भारतीयों को मिलने वाले H-1B वीजा में भारी कमी आई है। यूएससीआईएस के अनुसार एक साल में H-1B वीजा स्वीकृति 37% गिर गई, जबकि 2015 से अब तक कुल मिलाकर 70% की कमी दर्ज हुई है।

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Ranjana Sharma
priyanka 8 (37)

नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी इमिग्रेशन नीति का प्रभाव भारतीय पेशेवरों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। नई नीति लागू होने के बाद सिर्फ एक साल के भीतर भारतीयों को जारी होने वाले H-1B वीजा में लगभग 40% की गिरावट दर्ज की गई है। यूएससीआईएस के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2015 से अब तक H-1B वीजा की स्वीकृति में करीब 70% की कमी आई है, जबकि पिछले एक वर्ष में ही इसमें 37% की गिरावट देखी गई है।

भारत से अमेरिका जाने वाले कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट

भारत की शीर्ष पांच आईटी कंपनियों में टीसीएस वह कंपनी है जिसके सबसे अधिक कर्मचारियों को H-1B वीजा मिला, लेकिन इसके बावजूद इस साल भारत की आईटी कंपनियों को कुल मिलाकर मात्र 4,500 H-1B वीजा जारी किए गए जो पूरे दशक में सबसे कम संख्या है। टीसीएस का वीजा रिजेक्शन रेट भी बढ़कर 7% तक पहुंच गया है, जबकि 2024 में यह दर केवल 4% थी। इस साल टीसीएस के 5,293 कर्मचारियों को अमेरिका में अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति मिली है, लेकिन भारत से अमेरिका जाने वाले कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 2024 में जहाँ 1,452 टीसीएस कर्मचारियों को H-1B वीजा मिला था, वहीं इस साल यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 846 रह गया।

25 H-1B पिटिशन दायर करने वालों में भारत की तीन कंपनियों शामिल

भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों में टीसीएस का रिजेक्शन रेट सबसे अधिक 7% है, जबकि इन्फोसिस, एचसीएल अमेरिका, एलटीआई माइंडट्री का रिजेक्शन रेट सिर्फ 1% है। विप्रो का रिजेक्शन रेट 2% दर्ज किया गया है। दूसरी तरफ, अमेरिका में H-1B वीजा स्वीकृत कराने वाली शीर्ष कंपनियों में अमेजन, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल सबसे आगे हैं। शीर्ष 25 H-1B पिटिशन दायर करने वाली कंपनियों में भारत की केवल तीन ही कंपनियां शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय कंपनियों का रिजेक्शन रेट कम दिखने की एक वजह यह भी है कि वे अब कम आवेदन दाखिल कर रही हैं।

H-1B नीति पर एलन मस्क का बयान भी चर्चा में

इसी बीच अमेरिका की H-1B नीति पर एलन मस्क का बयान भी चर्चा में है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिभा ने तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में अमेरिका को जबरदस्त लाभ पहुंचाया है। मस्क ने यह भी कहा कि विश्व की बड़ी कंपनियों में शीर्ष पदों पर भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि भारत से आए प्रवासी अमेरिका के लिए एक बड़ी संपत्ति साबित हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से ही डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। चुनावों के दौरान मस्क ने ट्रंप का खुलकर समर्थन किया था और इसके बाद वे प्रशासन का हिस्सा भी बने, लेकिन अब दोनों के बीच खटास इतनी बढ़ गई है कि वे एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयानबाज़ी कर रहे हैं।
H-1B visa | donald trump
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