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दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन सेहत के लिए हानिकारक, जानें क्यों बचना जरूरी है

दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों के अनुसार, दूध एक प्रोटीन और फैट से भरपूर पदार्थ है, जबकि खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, या अनार में एसिडिक तत्व होते हैं।

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YBN News
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fruitsmilkacidic Photograph: (AI)

नई दिल्ली। दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों के अनुसार, दूध एक प्रोटीन और फैट से भरपूर पदार्थ है, जबकि खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, या अनार में एसिडिक तत्व होते हैं। जब इन्हें एक साथ खाया जाता है तो पेट में रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और गैस, एसिडिटी या पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, दूध फटने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता। इसलिए इनका संयोजन करने से बचना चाहिए।

खराब कॉम्बिनेशन

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, आयुर्वेद में भोजन के संयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। दूध को पौष्टिक आहार कहा जाता है। लेकिन, गलत फूड कॉम्बिनेशन न केवल खाने का जायका बिगाड़ सकता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। दूध संग खट्टे फलों का सेवन भी सेहत का शत्रु माना जाता है।  आयुर्वेद कहता है कि कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ खाने से पाचन क्रिया बिगड़ सकती है। ऐसा ही एक खराब कॉम्बिनेशन दूध और खट्टे फलों का है।

स्वास्थ्य समस्याओं का कारण

बता दें, दूध की प्रकृति शीतल यानी ठंडी होती है, जबकि खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, मौसमी, अनानास या अमरूद अम्लीय होते हैं। इन दोनों को मिलाकर खाने से शरीर में असंतुलन होता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और वसा से भरपूर होता है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और पाचन के हिसाब से भारी माना जाता है। वहीं, खट्टे फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होते हैं, लेकिन इनमें एसिड की मात्रा भी ज्यादा होती है। जब दूध और खट्टे फल पेट में एक साथ पहुंचते हैं, तो दूध का प्रोटीन (केसीन) अम्ल से प्रतिक्रिया करता है। इससे दूध फट जाता है या जम जाता है, जिसे आयुर्वेद में 'विरुद्ध आहार' कहा जाता है।

पाचन अग्नि को कमजोर करता

यह पाचन अग्नि को कमजोर कर देता है। इससे मुख्य नुकसान पाचन तंत्र को होता है। पेट में गैस बनने लगती है, जो सूजन और दर्द का कारण बन सकती है। अपच की समस्या आम हो जाती है, जिसमें खाना ठीक से नहीं पचता और भारीपन महसूस होता है। कभी-कभी उल्टी, दस्त या कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

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एसिडिटी और जलन का कारण

आयुर्वेद के अनुसार, यह दोषों (वात, पित्त, कफ) में असंतुलन पैदा करता है, खासकर पित्त दोष बढ़ता है, जो एसिडिटी और जलन का कारण बनता है। लंबे समय तक ऐसा करने से त्वचा पर मुंहासे, एलर्जी या चकत्ते निकल सकते हैं। इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह ज्यादा हानिकारक है। आयुर्वेदाचार्य खट्टे फलों को दूध से कम से कम 2-3 घंटे का अंतर रखकर खाने की सलाह देते हैं। इससे पाचन स्वस्थ रहता है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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