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कैबिनेट बैठक में सीएम योगी व अन्य। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। अयोध्या को विश्व स्तर पर एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। योगी सरकार की कैबिनेट ने टाटा संस के सहयोग से अयोध्या में प्रस्तावित विश्व स्तरीय 'मंदिर संग्रहालय' का दायरा और बड़ा कर दिया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा संस ने अपने सीएसआर फंड से एक अत्याधुनिक मंदिर संग्रहालय विकसित करने और उसका संचालन करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके लिए कंपनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी एसपीवी बनाया जाएगा, जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। परियोजना के लिए भूमि आवंटन के लिए भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा संस के बीच त्रिपक्षीय एमओयू 3 सितंबर, 2024 को हस्ताक्षरित हो चुका है।
बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि टाटा संस को 90 वर्षों के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी, लेकिन टाटा संस ने संग्रहालय की भव्यता के दृष्टिगत अधिक भूमि की अपेक्षा की थी। ऐसे में अब इस भूमि के अतिरिक्त 27.102 एकड़ और मिलाकर कुल 52.102 एकड़ भूमि का निशुल्क हस्तांतरण आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जाएगा, ताकि परियोजना का दायरा और बड़ा किया जा सके। वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय तैयार होने के बाद अयोध्या को न सिर्फ एक नई सांस्कृतिक पहचान चिन्ह मिलेगी, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही, बढ़ते पर्यटन से सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी भी होगी।
गौरतलब है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और ध्वजारोहण समारोह के बाद अयोध्या में पर्यटकों का प्रवाह कई गुना बढ़ चुका है, अब रोजाना लगभग 2 से 4 लाख पर्यटक अयोध्याधाम पहुंच रहे हैं। युवा पीढ़ी, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में सांस्कृतिक आकर्षणों को बढ़ाने की दिशा में यह संग्रहालय महत्वपूर्ण होगा।
18 मंडलों में नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोलने को मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में दिव्यांगजनों के लिए भी एक अहम निर्णय लिया गया। सरकार ने राज्य के सभी 18 मंडलों में नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) खोलने को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में प्रदेश के 38 जिलों में ऐसे केंद्र चल रहे हैं, लेकिन कतिपय समस्याओं के कारण कई जगह संचालन प्रभावित हो रहा था। अब सरकार पूरे ढांचे को नए सिरे से संसाधनों से लैस करते हुए संचालित करने जा रही है, ताकि दिव्यांगजनों को मिलने वाली सेवाओं में कोई बाधा न आए।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नए डीडीआरसी खुलने से प्रदेश में दिव्यांगजनों को एक ही जगह पर सर्वे, पहचान, शिविर, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। साथ ही फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसी नैदानिक सेवाएं भी इन केंद्रों पर दी जाएंगी। यूडीआईडी कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसे जरूरी दस्तावेज बनवाने में भी अब लोगों को ज्यादा चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सरकार का मानना है कि इस फैसले से दिव्यांगजनों को योजनाओं का लाभ समय पर और सुगमता से मिल सकेगा तथा उनके पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया मजबूत होगी।
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