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छांगुर केस में बड़ा खुलासा: धर्मांतरण नेटवर्क में चार अफसरों की भूमिका संदिग्ध, STF जांच में सामने आए नाम

देश विरोधी गतिविधियों और धर्मांतरण की साजिश में गिरफ्तार छांगुर उर्फ जमालुद्दीन की रिमांड में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। छांगुर ने एटीएस को बताया कि 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर उसकी मदद करते थे।

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Shishir Patel
Changur ATS arrest

जमालुद्दीन उर्फ छांगुर

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता ।देश व विरोधी गतिविधियों और धर्मांतरण की साजिश में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर की पूछताछ से बड़ा खुलासा हुआ है। यूपी एसटीएफ और एटीएस की संयुक्त जांच में सामने आया है कि छांगुर को बलरामपुर में तैनात चार अफसरों का संरक्षण हासिल था। इनमें एक एडीएम, दो क्षेत्राधिकारी (CO) और एक थानेदार शामिल हैं, जो 2019 से 2024 के बीच वहां तैनात रहे। जांच में पता चला है कि ये अफसर छांगुर के इशारे पर किसी भी स्तर पर मदद करने को तैयार रहते थे। छांगुर ने एटीएस की रिमांड में पूछताछ के दौरान इन अधिकारियों के नाम बताए, हालांकि सुरक्षा एजेंसियां अभी इन नामों की तस्दीक और सत्यता को लेकर जांच में जुटी हैं।

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धर्मांतरण का नेटवर्क और 46 गांवों में फैलाया जाल

छांगुर ने भारत-नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर के गांवों में धर्मांतरण का अड्डा खड़ा कर लिया था। जांच एजेंसियों के मुताबिक वह नेपाल में जिहादी एजेंडा फैलाने की तैयारी में था। इसके लिए छांगुर ने 46 सीमावर्ती गांवों के युवाओं को टारगेट किया था। जलसों में भाषणों और परचों के जरिए वह युवाओं की सोच को परखता और उनमें इस्लामिक कट्टरता के प्रति रुझान देखता था। चिह्नित युवाओं को वह धन देकर मजबूत बनाना चाहता था, ताकि उन्हें प्रशिक्षण देकर नेपाल व भारत की सीमा पर इस्लामिक मूवमेंट में शामिल किया जा सके। एजेंसियों के अनुसार इस काम के लिए छांगुर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना चुका था।हालांकि छांगुर के खिलाफ अगस्त 2024 में ही प्राथमिकी दर्ज हो गई थी, लेकिन 8 महीने तक जांच बहुत धीमी गति से चली। मार्च 2025 के बाद ही जांच में तेजी आई और अप्रैल में छांगुर के बेटे तथा सहयोगी नवीन रोहरा की गिरफ्तारी के बाद धर्मांतरण नेटवर्क उजागर होना शुरू हुआ।इसके बाद से छांगुर से जुड़े लोग भी दूरी बनाने लगे। एटीएस फिलहाल रिमांड कस्टडी में छांगुर से गहन पूछताछ कर रही है, जिसमें दो दिन की रिमांड अभी शेष है।

अफसरों की भूमिका पर बढ़ी संवेदनशीलता

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जांच एजेंसियों के लिए अब सबसे अहम चुनौती उन चार अधिकारियों की भूमिका की पुष्टि करना है, जिनका नाम छांगुर ने लिया है। हालांकि, एजेंसियों को संदेह है कि यह बयान भटकाने की रणनीति भी हो सकती है। इसलिए हर नाम को अलग-अलग स्तर पर जांचा जा रहा है।यदि जांच में इन अधिकारियों की भूमिका की पुष्टि होती है, तो छांगुर प्रकरण देश विरोधी साजिश और अफसरशाही गठजोड़ का सबसे बड़ा मामला बन सकता है। फिलहाल अभी इस पूरे मामले पर कोई भी अधिकारी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।


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