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Crime News :घूसकांड में फंसे गोंडा के बीएसए अतुल कुमार तिवारी निलंबित, शासन ने जांच के दिए आदेश

गोंडा के बीएसए अतुल कुमार तिवारी को फर्नीचर आपूर्ति के टेंडर में करीब 2.25 करोड़ की रिश्वत मांगने के आरोप में शासन ने निलंबित कर दिया है। जांच में अनियमितताएं व लापरवाही साबित होने पर उन्हें लखनऊ मंडल से संबद्ध करते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं।

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Shishir Patel
BSA Atul Kumar Tiwari

बीएसए अतुल कुमार तिवारी

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के गोंडा जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अतुल कुमार तिवारी पर फर्नीचर आपूर्ति के टेंडर में करोड़ों की रिश्वत मांगने के आरोप में शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। शासन ने बीएसए अतुल तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए लखनऊ मंडल के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के लिए मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक को जांच अधिकारी नामित किया गया है।शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव वेद प्रकाश राय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बीएसए पर टेंडर दाताओं से लगभग दस लाख रुपये की वसूली, मनमाने तरीके से बिड प्रकाशित करने और राज्य परियोजना निदेशक द्वारा निर्धारित मानकों का पालन न करने जैसे गंभीर आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं। शासन ने इसे वित्तीय अनियमितता, पद के दुरुपयोग और घोर लापरवाही मानते हुए तत्काल निलंबन का आदेश जारी किया है।

करीब 2.25 करोड़ रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था

बताया गया कि जिले में प्राथमिक विद्यालयों में डेस्क और सीट की आपूर्ति के लिए जारी टेंडर में भारी गड़बड़ी की शिकायत टेंडर दाताओं ने की थी। शिकायत की जांच सीडीओ ने की, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद बीएसए ने संबंधित फर्म पर मुकदमा दर्ज कराया, परंतु बाद में उन्हीं के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में शिकायत दाखिल हुई। अदालत के आदेश पर नगर कोतवाली में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।मामले के अनुसार, हरियाणा के गुरुग्राम स्थित नीमन सीटिंग सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी मनोज पांडेय ने बीएसए अतुल तिवारी, जिला समन्वयक (जेम) प्रेमशंकर मिश्र और जिला समन्वयक (सिविल) विद्याभूषण मिश्र पर करीब 2.25 करोड़ रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। फर्म को 564 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर आपूर्ति का कार्य मिला था, जिसकी कीमत लगभग 15 से 16 करोड़ रुपये थी।

बीते तीन माह में बीएसए पर यह दूसरा मुकदमा दर्ज

मनोज पांडेय का आरोप है कि चार जनवरी 2025 को बीएसए ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर 22 लाख रुपये नकद लिए, जबकि दोनों समन्वयकों को चार-चार लाख रुपये दिए गए। बाकी रकम न देने पर बीएसए ने उनका 50.38 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट रद्द करा दिया और कंपनी को दो वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।निलंबन आदेश के बाद मंगलवार की शाम से ही विभाग में हलचल मच गई है। बीते तीन माह में बीएसए पर यह दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ है। एक घूसखोरी से जुड़ा और दूसरा नियुक्ति में फर्जीवाड़े का। इस कार्रवाई के बाद विभागीय कर्मचारियों में हड़कंप है, वहीं पुलिस ने भी घूसकांड की जांच तेज कर दी है।

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