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प्रतीकात्मक Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेट्रो सिटी में पुलिस कमिश्नरेट स्थापित होने के बाद उप्र गैंगस्टर एक्ट के तहत जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां पुलिस कमिश्नर को सौंपने की वैधता को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिका की प्रति सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को सौंपने का भी आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति आचल सचदेव की खंडपीठ ने संजीव महेंद्र मेट की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मनीष सिंह ने बहस की।
संपत्ति जब्त करने की अधिकारिता को चुनौती दी
याचिका में याची ने पुलिस कमिश्नर कानपुर नगर द्वारा गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति जब्त करने की अधिकारिता को चुनौती दी है। याची का कहना है कि गैंगस्टर एक्ट बनाते समय विधायिका की मंशा थी कि पुलिस और कार्यपालक मजिस्ट्रेट दोनों को रखा जाए, ताकि पुलिस मनमानी न कर सके। पुलिस और जिला अधिकारी की संयुक्त बैठक में गैंग चार्ट तैयार करने पर विचार किया जाता था।
राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर पुलिस कमिश्नर को ही मजिस्ट्रेट की शक्तियां दे दी हैं।अब पुलिस ही गैंग चार्ट तैयार करेगी, जो कानून की मंशा के विपरीत है। याचिका में गैंगस्टर एक्ट की दर्ज एफआईआर रद करने व जब्त संपत्ति अवमुक्त करने की मांग की गई है।
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