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भारत के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारत के भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कोई भी केस जीतने या लड़ने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण न्याय मिलना होता है। अपने काम के दौरान खुद से पूछे गए सवाल सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। आपकी तैयारी क्या ठीक थी...? क्या मैंने दलीलें सही से रखीं...? ऐसे आत्ममंथन से हमल अपनी कमियों को पहचान सुधार सकते हैं।
अतिआत्मविश्वास से बचें विधि छात्र
जस्टिस सूर्यकांत रविवार को राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में आयोजित चौथे दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विधि स्नातक छात्र-छात्राओं को अतिआत्मविश्वास से बचने की सलाह देते हुए कहा कि एक बार मैं खुद अतिआत्मविश्वास की वजह से एक केस हार गया था, उसके बाद अपनी गलतियों से सीख लेने के लिए नोट बुक रखना शुरू की।
जस्टिस विक्रमणाथ ने दिए सफलता के तीन मंत्र
समारोह में जस्टिस विक्रमणाथ ने कहा विद्यार्थियों को प्रेरित करते कि जीवन में सफलता के लिए तीन काम बेहद जरूरी हैं। खूब मेहनत करिए, ईमानदारी से काम करें और खुश रहिए। दीक्षांत समारोह में 21 मेधावियों को पदक और 309 उपाधियां दी गईं। इसमें अलग-अलग पाठ्यक्रमों समेत 24 पीएचडी की डिग्रियां शामिल हैं। विद्यार्थियों को 21 पदक स्वर्ण, रजत, कांस्य व स्मृति पदक प्रदान किए गए।
इन्हें मिले विशेष स्वर्ण
स्वर्ण यति को प्रदीप कुमार अग्रवाल गोल्ड, मुस्कान शुक्ला को न्यायमूर्ति ओपी प्रधान मेमोरियल स्वर्ण, दर्शिका पांडेय को पद्मावती मोहनलाल स्वर्ण और वीरेंद्र भाटिया स्वर्ण, धीरज दिवाकर को एम्बिशन लॉ इंस्टीट्यूट गोल्ड, अभ्युदय प्रताप को केके लूथरा मेमोरियल एडवोकेसी गोल्ड मिला।
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