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आईपीएस अखिलेश सिंह को मिला वीरता पुरस्कार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मधुबन तहसील के छोटे से गांव मुरारपुर के लाल और असम पुलिस में कार्यरत आईजी अखिलेश कुमार सिंह को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए देश के दो प्रतिष्ठित पदकों से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 के अवसर पर उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक और मणिपुर डीजीपी प्रशंसा पदक 2025 से सम्मानित किया गया। उनके इस सम्मान से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा जनपद गौरवान्वित है।
इससे पहले भी मिल चुका है राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक
अखिलेश कुमार सिंह को इससे पहले भी राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक मिल चुका है। वह देश के उन चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों में गिने जाते हैं जिन्होंने अपने साहस, विवेक और मानवता के उदाहरण पेश करते हुए कठिन परिस्थितियों में भी न्याय और शांति की स्थापना की है।
गांव की महिला को बचाने पर मिला गृह मंत्री दक्षता पदक
असम के शिवसागर जिले के एक गांव में जब भीड़ ने एक निर्दोष महिला को डायन’ बताकर जिंदा जलाने की कोशिश की, तो उस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। उस समय जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में अखिलेश कुमार सिंह ने न केवल तत्काल प्रभावी कार्रवाई की बल्कि अपराधियों को पकड़ने और मुकदमे को अंजाम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने अपनी टीम के साथ न सिर्फ गांव की सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल बहाल किया बल्कि मुकदमे की गहन विवेचना, चार्जशीट, सबूतों और गवाहों के बयान को इतनी मजबूती से पेश किया कि अदालत ने 23 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह एक ऐसी मिसाल बनी जिसे असम पुलिस ने अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल किया है। इसी उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें गृह मंत्री दक्षता पदक 2025 से सम्मानित किया गया।
असम के नागरिकों की सुरक्षित वापसी को मिला प्रशंसा पदक
2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद स्थिति बेहद गंभीर थी। उस समय असम पुलिस के आईजी अखिलेश कुमार सिंह को राज्य सरकार ने विशेष मिशन पर इंफाल भेजा। उन्होंने न केवल मणिपुर में फंसे असम के सैकड़ों नागरिकों को सकुशल बाहर निकाला, बल्कि स्थानीय पुलिस बल के साथ समन्वय बनाकर राहत कार्यों में भी सहयोग किया।उन्होंने मणिपुर पुलिस के लगभग 2000 जवानों को असम में प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था की और वहां शांति बहाली के प्रयासों में अहम भूमिका निभाई। उनके इन अद्भुत प्रयासों के लिए मणिपुर के डीजीपी ने उन्हें डीजीपी प्रशंसा पदक 2025 से सम्मानित करने की घोषणा की।यह एक दुर्लभ उपलब्धि है, क्योंकि आमतौर पर किसी दूसरे राज्य के अधिकारी को बाहरी राज्य के डीजीपी द्वारा सम्मानित किया जाना असामान्य है। यह उनके अदम्य साहस और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।
असाधारण जज्बे से देश की सेवा करने वाले अधिकारी की जाने कहानी
यूपी के मऊ जिले के मुरारपुर गांव में 1979 में जन्मे अखिलेश कुमार सिंह बचपन से ही अनुशासित और मेहनती थे। उनके पिता कृष्ण मुरारी सिंह स्थानीय विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे, जबकि माता सुनैना सिंह गृहिणी हैं। पिताजी के निधन के बाद उनकी माता असम में ही उनके साथ रहती हैं।
अखिलेश की शुरुआती शिक्षा गांव में हुई
अखिलेश की शुरुआती शिक्षा गांव में हुई। उसके बाद उन्होंने डीएवी इंटर कॉलेज, मऊ से इंटरमीडिएट पास किया और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और एमए की डिग्री हासिल की। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने 2003 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस बनकर असम कैडर जॉइन किया। उस समय असम में आतंकवाद और सांप्रदायिक तनाव चरम पर था।
आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक भूमिका, राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित
अखिलेश सिंह ने असम में उल्फा (ULFA) और अन्य उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए। उनके नेतृत्व में हुए ऑपरेशनों में असंख्य नागरिकों को बचाया गया और कई खतरनाक आतंकवादी गिरफ्तार हुए।उनके इन्हीं कार्यों के लिए उन्हें 2014 में राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया। बाद में उन्होंने असम के विभिन्न जिलों में एसपी और डीआईजी के रूप में कार्य किया और हर जगह जनता का विश्वास जीता।
सीबीआई में रहते हुए देशभर में चर्चा में आए
2019 से 2022 तक अखिलेश कुमार सिंह सीबीआई, कोलकाता में डीआईजी के पद पर कार्यरत रहे।इस दौरान उन्होंने नारदा और शारदा कांड जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच का नेतृत्व किया।2021 में पश्चिम बंगाल सरकार के चार मंत्रियों को नारदा घोटाले में गिरफ्तार करने के बाद वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके ऑफिस के बाहर छह घंटे तक धरने पर बैठीं और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कार्यालय पर पथराव तक हुआ, लेकिन अखिलेश सिंह अपने कर्तव्य से नहीं डिगे और मंत्रियों को जेल भेजकर कानून की गरिमा को कायम रखा।
कोयला तस्करी पर कड़ा प्रहार
सीबीआई कोलकाता में रहते हुए ही अखिलेश कुमार सिंह ने आसनसोल क्षेत्र में संगठित कोयला तस्करी पर बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने कोयला माफिया गिरोहों को खत्म कर कई आरोपियों को जेल भेजा। इस अभियान के लिए उन्हें 2021 में राष्ट्रपति के सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
गांव में खुशी का माहौल, शिक्षकों को गर्व
मऊ के डीएवी इंटर कॉलेज के शिक्षकों ने कहा कि अखिलेश कुमार सिंह शुरू से ही अनुशासित और मेहनती छात्र रहे हैं। उनके शिक्षक और सहपाठी आज उनके इस सम्मान से गर्वित हैं।उनके मित्र अनुराग त्रिपाठी ने बताया, अखिलेश सिंह बहुत सरल और मृदुभाषी व्यक्ति हैं। उनके अंदर एक सच्चे पुलिस अधिकारी की ईमानदारी और संवेदनशीलता दोनों हैं। उनकी मेहनत और जनसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें यह ऊँचाई दिलाई है।
देश के लिए प्रेरणास्रोत
आईजी अखिलेश कुमार सिंह की यह कहानी केवल एक अधिकारी की सफलता नहीं, बल्कि एक छोटे से गांव से निकलकर देश के कानून-व्यवस्था तंत्र में शीर्ष स्तर तक पहुंचने की मिसाल है। उन्होंने यह साबित किया है कि ईमानदारी, साहस और सेवा भाव से कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में बदलाव ला सकता है।
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