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संसद के शीतकालीन सत्र में भाग लेने जाते अखिलेश यादव। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग और भाजपा पर बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाने, गड़बड़ियां करने और वोट चोरी की कोशिशों का आरोप लगाया है।
भाजपा सरकार वोट डालने का अधिकार भी छीन रही
अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'देश की आजादी के बाद, हमें वोट डालने का अधिकार दिया गया था। जब से उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीट कम आई हैं, भाजपा के अंदर बेचैनी है। लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब हमारे वोट देने के अधिकार का पूरी तरह सम्मान किया जाएगा और उसे छीना नहीं जाएगा। SIR को लेकर चिंताएं अब हकीकत बन रही हैं। अगर किसी वोटर का वोट चला जाएगा, तो उसके सपने कैसे पूरे होंगे?' सपा मुखिया ने कहा, 'एक वोटर का सपना होता है कि उसका वोट गिना जाए। जब ​​वे अपने वोट देने के अधिकार का पूरी तरह इस्तेमाल करते हैं, तो वे अपने सपने पूरे कर रहे होते हैं। अगर वे किसी से नाराज होते हैं, तो वे उसके खिलाफ वोट देते हैं, अगर वे किसी का सपोर्ट करते हैं, तो वे उसके पक्ष में वोट देते हैं. लेकिन भाजपा सरकार यह अधिकार भी छीन रही है।'
यूपी में जिन भी बूथों से भाजपा हारी है, उन पर विशेष निगरानी की जा रही
अखिलेश यादव ने कहा कि संसाधन में भाजपा से मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। हमको सूचना मिली है कि उत्तर प्रदेश में जिन भी बूथों से भाजपा हारी है, उन पर विशेष निगरानी की जा रही है। देश में SIR वोट काटने के लिए कराया जा रहा है। इससे देश में वोट बढ़ने वाला नहीं है। भारतीय निर्वाचन अयोग अपने काम को नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) अपने परिवार वालों के साथ होते हैं। उनका पूरा परिवार उनकी मदद में लगा होता है। अगर नई पीढ़ी का कोई नौजवान है जो प्रौद्योगिकी समझता है, तो मैंने ऐसे भी केस देखे हैं कि बेंगलुरु में काम करने वाले किसी ने अपनी मां की मदद करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी।'
सपा मुखिया ने कहा कि उनका काम सिर्फ SIR के लिए फॉर्म भरना होता है। SIR लागू होना चाहिए ताकि लोकतंत्र मजबूत हो, हर कोई मददगार बने और किसी का वोट न जाए। यह जिम्मेदारी भारतीय निर्वाचन आयोग की है लेकिन भाजपा ने जानबूझकर ऐसी तारीखें चुनी हैं, जो उस समय से मेल खाती हैं जब सबसे ज्यादा शादियां होती हैं।
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