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काशी तमिल संगमम आज से। Photograph: (सोशल मीडिया)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। तमिलनाडु और वाराणसी के बीच एक संस्कृति और शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण मंगलवार से शुरू होगा और इस साल 2 से 15 दिसंबर तक चलेगा। 2022 में शुरू की गई इस पहल का मकसद तमिलनाडु और काशी (वाराणसी) को जोड़ने वाली पुरानी सभ्यता, भाषा और आध्यात्मिक रिश्तों को फिर से जगाना है।
उद्घाटन से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस कार्यक्रम के लिए अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने पोस्ट में लिखा, 'मैं आज बाबा विश्वनाथ के निवास पवित्र शहर वाराणसी में 'काशी तमिल संगमम' के चौथे संस्करण का गवाह बनूंगा, जो एक भारत-श्रेष्ठ भारत की एक जीवंत अभिव्यक्ति है।'
उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपराओं को जोड़ेगा
उन्होंने कहा, 'लेट्स लर्न तमिल' थीम के साथ शुरू होने वाला यह बड़ा कार्यक्रम एक बार फिर उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति और परंपराओं को एक धागे में पिरोने का जरिया बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आज का 'न्यू इंडिया' वैदिक और सांस्कृतिक चेतना के शिखर पर है।' 2022 में लगभग एक महीने तक चले पहले संस्करण में दोनों राज्यों के विद्यार्थी, कलाकार और तीर्थयात्रियों ने जोश के साथ हिस्सा लिया था। तीसरा संस्करण जो शुरू में दिसंबर 2024 के लिए प्लान किया गया था, बाद में पुनर्निर्धारित किया गया और 15 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित किया गया।
बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी वाराणसी में आज से आरंभ हो रहे एक भारत-श्रेष्ठ भारत की जीवंत अभिव्यक्ति 'काशी तमिल संगमम्' के चतुर्थ संस्करण का साक्षी बनूंगा।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 2, 2025
'Let us Learn Tamil-तमिल करकलम्' की थीम के साथ प्रारंभ हो रहा यह भव्य आयोजन पुन: उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति और संस्कार…
समापन समारोह रामेश्वरम में होगा
अधिकारियों ने कहा कि चौथा संस्करण 2 दिसंबर को वाराणसी में शुरू होगा और समापन समारोह रामेश्वरम में होगा, जो भारतीय उपमहाद्वीप के पवित्र उत्तरी और दक्षिणी छोर को प्रतीकात्मक रूप से जोड़ता है। इसमें उत्तरी राज्यों के विद्यार्थियों को जोड़ने पर खास फोकस है। वाराणसी और तमिलनाडु दोनों के कलाकार इसमें शामिल होंगे, जिसमें भारतीय ज्ञान और इसकी भाषाई विरासत में तमिल के योगदान का अन्वेषण किया जाएगा।
इस साल के कार्यक्रम में लोक संगीत, पारंपरिक खाने के मेले और मंदिर-विरासत के टूर भी होंगे, जिन्हें हिस्सा लेने वालों को तमिल और काशी की संस्कृतियों की जीवंत परंपराओं से रूबरू कराने के लिए डिजाइन किया गया है। आयोजक को तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश दोनों की विश्वविद्यालयों, सांस्कृतिक संस्थाओं और सरकारी विभागों से अच्छी भागीदारी की उम्मीद है।
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