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High Court News: वन विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक व क्षेत्रीय निदेशक को आपराधिक अवमानना नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनिल कुमार अपर मुख्य सचिव वन विभाग उत्तर प्रदेश ,सुनील चौधरी प्रमुख मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश एवं गौतम सिंह क्षेत्रीय निदेशक सामाजिक वानिकी उत्तर प्रदेश को आपराधिक अवमानना नोटिस जारी कर 8 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

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Abhishek Panday
High Court

हाईकोर्ट

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनिल कुमार अपर मुख्य सचिव वन विभाग उत्तर प्रदेश ,सुनील चौधरी प्रमुख मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश एवं गौतम सिंह क्षेत्रीय निदेशक सामाजिक वानिकी उत्तर प्रदेश को आपराधिक अवमानना नोटिस जारी कर 8 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा इन्होंने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत लिखित आदेश देकर न्यायालय के प्राधिकार को नीचे करने के हर कदम उठाए हैं। जो आपराधिक अवमानना है। कोर्ट ने वन विभाग में दैनिक कर्मचारियों याची व तमाम अन्य लोगों को नौकरी पर रखने का आदेश दिया था।जिसका पालन न कर कोर्ट आदेश को फ्रस्टेट किया है। न्याय प्रशासन में व्यवधान उत्पन्न किया है। कोर्ट ने विपक्षी अधिकारियों को जवाबी या अनुपालन हलफनामा दाखिल करने की भी छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति सत्यवीर सिंह की खंडपीठ ने ओंकार सिंह की आपराधिक अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव ने बहस की।

याचिका की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी

याची ने महाधिवक्ता की अनुमति लिए बगैर सीधे कोर्ट में आपराधिक अवमानना दाखिल करने की कोर्ट से अनुमति मांगी। जिसपर कोर्ट ने कहा हलफनामा व आदेश पढ़ने के बाद साफ हो गया है कि विपक्षी अधिकारियों ने कोर्ट आदेश की आपराधिक अवहेलना की है। कोर्ट ने कहा आपराधिक अवमानना याचिका दायर करने से पहले महाधिवक्ता की अनुमति लेने का नियम सिर्फ व्यर्थ की अवमानना याचिका दाखिल होने से रोकना है।कहीं पर भी सीधे कोर्ट में आपराधिक अवमानना याचिका दायर करने पर रोक नहीं है। कोर्ट को आपराधिक अवमानना मामले में स्वयं अपनी मर्जी से कार्रवाई करने का अधिकार है। इसलिए कोर्ट ने अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी की है। कोर्ट ने कहा अर्जी सिविल अवमानना लगती है किन्तु गहराई में जाने पर साफ होता है कि यह आपराधिक अवमानना है।विपक्षी अधिकारियों के आचरण से स्पष्ट है कि उन्होंने कोर्ट के अधिकार को कम करने का काम किया है। आदेश के विपरीत आदेश जारी किया है। याचिका की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।

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