Advertisment

Prayagraj News: भारत के संविधान ने सुनिश्चित की अखंडता और एकता : मुख्य न्यायाधीश गवई

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि यदि आज भारत अखंड, एकजुट और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में खड़ा है, तो इसका श्रेय हमारे संविधान और इसके निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को जाता है।

author-image
Abhishek Panday
Chief Justice BR Gavai पर जूता उछालने की कोशिश : CJI का बेबाक जवाब, हिरासत में आरोपी | यंग भारत न्यूज

Chief Justice BR Gavai पर जूता उछालने की कोशिश : CJI का बेबाक जवाब, हिरासत में आरोपी | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि यदि आज भारत अखंड, एकजुट और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में खड़ा है, तो इसका श्रेय हमारे संविधान और इसके निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान ने न केवल शासन की संरचना दी, बल्कि नागरिकों को वह आत्मा दी जो उन्हें गरिमा और अधिकारों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है। न्यायमूर्ति गवई इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सीनेट परिसर में आयोजित सेमिनार “Constitution and Constitutionalism: The Philosophy of Dr. B.R. Ambedkar” को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर सच्चे देशभक्त थे और वे मानते थे कि न्यायपालिका को सदैव स्वतंत्र रहना चाहिए, क्योंकि स्वतंत्र न्यायपालिका ही लोकतंत्र की रीढ़ है।

पड़ोसी देशों में अशांति, भारत संविधान से अखंड

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज दुनिया देख रही है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका—किस तरह राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं। वहीं, भारत संविधान की बदौलत अखंड और स्थिर है। उन्होंने कहा कि “संविधान हमारे लोकतंत्र की संरचना है, और संविधानवाद उसकी आत्मा। आत्मा यह विश्वास रखती है कि जनता द्वारा चुने गए लोग जनता के प्रति जवाबदेह होंगे।”

जीवन के अधिकार की विस्तृत व्याख्या

CJI गवई ने कहा कि जीवन का अधिकार केवल “जीवित रहने” तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय गरिमा का अधिकार निहित है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 14 और 21 की भावना से प्रेरित होकर सर्वोच्च न्यायालय ने वर्षों में कई ऐसे अधिकारों को मौलिक अधिकारों का स्वरूप दिया है, जो व्यक्ति की गरिमा और जीवन से सीधे जुड़े हैं। उन्होंने कहा जीवन के अधिकार में आश्रय, भोजन, वस्त्र, स्वच्छ पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवा और जबरन श्रम से मुक्ति का अधिकार शामिल हैं। व्यक्ति की गरिमा और समानता ही भारतीय संविधान का मूल तत्व है।

हर समस्या का समाधान संविधान में निहित

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश की सभी समस्याओं का समाधान संविधान में ही निहित है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि जीवन जीने की दिशा है, जो नागरिकों को जिम्मेदारी, स्वतंत्रता और समानता का संतुलन सिखाता है।

Advertisment

कौशांबी में बोले CJI , राम और बुद्ध के आदर्शों पर चलकर ही समाज आगे बढ़ेगा

प्रयागराज प्रवास के बाद मुख्य न्यायाधीश गवई कौशांबी जिले भी पहुंचे, जहां उन्होंने एक विद्यालय के वार्षिकोत्सव में कहा कि भगवान राम और महात्मा बुद्ध के आदर्शों पर चलकर ही देश और समाज प्रगति कर सकता है। उन्होंने कहा कि “कौशांबी बुद्ध की पवित्र धरती है। सम्राट अशोक ने जब बुद्ध का मार्ग अपनाया, तब उन्होंने दुनिया को शांति, करुणा और मानवता का संदेश दिया। बुद्ध ने सिखाया कि मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न हो, अपनी संस्कृति और परंपरा को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

संविधान आंबेडकर और भारत की आत्मा एक सूत्र में बंधे हैं

सेमिनार का समापन करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि संविधान, आंबेडकर और भारत की आत्मा एक-दूसरे से अविभाज्य हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एकता और अखंडता इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है, जो आने वाली पीढ़ियों को समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी।

Advertisment

यह भी पढ़ें: Prayagraj News: नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ने की माघ मेला तैयारियों की समीक्षा, एक माह में कार्य पूर्ण करने के निर्देश

यह भी पढ़ें: Prayagraj News: विधानसभा निर्वाचक नामावलियों के विशेष पुनरीक्षण कार्यों में लगे अधिकारियों का स्थानांतरण प्रतिबंधित

यह भी पढ़ें: Prayagraj News: मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अन्तर्गत ग्रामीण बेरोजगारों को मिलेगा स्वरोजगार का अवसर

Advertisment
Prayagraj News prayagraj
Advertisment
Advertisment