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रांची, वाईबीएन डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के भीतर झामुमो को कोई सीट नहीं दिए जाने के फैसले से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता असंतुष्ट हैं। पार्टी के अंदर इस पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है। झामुमो के राजमहल सांसद विजय हांसदा ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “झामुमो की दरियादिली का उचित सम्मान नहीं किया गया। “झारखंड में हमने गठबंधन को मजबूत किया, पर बिहार में अनदेखी हुई” सांसद हांसदा ने कहा कि झामुमो ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया और झारखंड में सहयोगी दलों को बराबरी का सम्मान दिया। “हमारे नेता हेमंत सोरेन ने हमेशा महागठबंधन को मजबूती देने का काम किया, लेकिन जब बिहार चुनाव की बारी आई, तो वहां हमारी पार्टी को दरकिनार कर दिया गया। यह बेहद निराशाजनक है।” उन्होंने कहा कि यह मामला अब पार्टी के फोरम में उठाया जाएगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आरजेडी-कांग्रेस को निभानी थी जिम्मेदारी, लेकिन कमी रह गई
विजय हांसदा ने कहा कि झारखंड में जब महागठबंधन बना था, तब झामुमो ने बड़ी भूमिका निभाई थी। “हमने बड़े भाई की तरह सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास किया, परंतु बिहार में आरजेडी और कांग्रेस को वही भूमिका निभानी थी। उम्मीद थी कि वे गठबंधन की मर्यादा को बनाए रखेंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ।” उन्होंने कहा कि अब झामुमो इस पूरे घटनाक्रम की समीक्षा करेगा ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो।
बीजेपी के आरोपों पर पलटवार “डीएमएफटी फंड पारदर्शिता से खर्च हो रहा
डीएमएफटी फंड के उपयोग को लेकर बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोपों पर सांसद हांसदा ने कहा कि विपक्ष बेवजह भ्रम फैला रहा है। “डीएमएफटी फंड की हर योजना की समीक्षा होती है। प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य लगातार चल रहे हैं। जिन जगहों पर खर्च की शिकायत मिली है, वहां रिपोर्ट मांगी जाएगी और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार पारदर्शी तरीके से फंड का उपयोग कर रही है और जनता के हित में हर पैसे का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा रहा है।
ग्रामीणों की समस्याओं पर पहल सैकड़ों लोगों की शिकायतें सुनीं
सांसद विजय हांसदा ने राजमहल परिसदन में आयोजित जनसुनवाई में सैकड़ों ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। ग्रामीणों ने पेयजल संकट, खराब सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ई-रिक्शा चालकों से वसूले जा रहे अतिरिक्त टोल टैक्स की शिकायतें दर्ज कराईं। हांसदा ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी शिकायतों का जल्द समाधान किया जाए। उन्होंने कहा, “जनता की परेशानी दूर करना हमारी प्राथमिकता है। विकास योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए प्रशासन को सक्रिय होना होगा।”
पार्टी के भीतर मंथन तेज
झामुमो के भीतर यह चर्चा तेज है कि क्या अब पार्टी को बिहार में स्वतंत्र रूप से विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। सांसद के बयान से संकेत मिलता है कि झामुमो जल्द ही महागठबंधन में अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर सकता है। नेताओं का कहना है कि झारखंड में जो सम्मान झामुमो अपने साथियों को देता है, वैसी ही अपेक्षा बिहार से भी थी, जो पूरी नहीं हुई।
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