/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/02/1762063222087-2025-11-02-11-30-38.jpeg)
रांची ,वाईबीएन डेस्क : चाईबासा में एचआईवी संक्रमित खून बच्चों को चढ़ाए जाने की चौंकाने वाली घटना के बाद झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। अब खूंटी जिले के सदर अस्पताल में भी ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक संचालित हो रहा है। यह खुलासा तब हुआ जब विभागीय समीक्षा में पता चला कि ब्लड बैंक का लाइसेंस फरवरी से रिन्युअल के इंतजार में है। सिविल सर्जन नागेश्वर मांझी ने स्वीकार किया है कि नवीनीकरण प्रक्रिया लंबित है। उन्होंने बताया कि सभी आवश्यक दस्तावेज और चालान ऑनलाइन जमा कर दिए गए हैं तथा सरकार के स्तर पर जल्द ही लाइसेंस नवीनीकरण की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस दौरान अस्पताल में मरीजों को ब्लड की आपूर्ति बाधित नहीं की गई है क्योंकि जिले में खून की भारी कमी बनी हुई है।
थैलेसीमिया और एनीमिया मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती
आदिवासी बहुल खूंटी जिले में थैलेसीमिया और एनीमिया से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 65 से अधिक मरीज चिन्हित किए जा चुके हैं, जिन्हें हर दिन रक्त की आवश्यकता होती है। सिविल सर्जन के अनुसार, प्रतिदिन औसतन 10 यूनिट खून की खपत होती है। सबसे अधिक रक्त थैलेसीमिया, सिकलसेल एनीमिया और गर्भवती महिलाओं के उपचार में उपयोग होता है। डॉक्टरों का कहना है कि कई मरीज ऐसे मिल रहे हैं जिनके शरीर में मात्र 5 से 7 ग्राम तक ही हीमोग्लोबिन रहता है। ये मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं और तुरंत ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है। जिले में रोजाना करीब 500 से अधिक लोग इलाज के लिए सदर अस्पताल आते हैं, जिनमें मलेरिया, टाइफाइड, सर्दी-खांसी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और ब्रेन हेमरेज के मरीज शामिल हैं।
एचआईवी घटना के बाद बढ़ी सतर्कता
चाईबासा में एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटना के बाद खूंटी स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। सिविल सर्जन ने बताया कि अब रक्त की जांच प्रक्रिया और सख्त कर दी गई है। रक्तदान करने वालों के ब्लड को पहले मशीन से जांचा जाता है और संक्रमण के किसी भी संकेत पर उसे अस्वीकार कर दिया जाता है। जांच में एचआईवी, हेपेटाइटिस A, B, C, मलेरिया, फाइलेरिया और डायबिटीज जैसी बीमारियों की स्क्रीनिंग की जाती है। ब्लड बैंक में रक्त को स्टैंडर्ड रेफ्रिजरेटर में सुरक्षित रखा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, हर यूनिट ब्लड को ट्रांसफ्यूजन से पहले दो स्तरों की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। चाईबासा प्रकरण के बाद स्वास्थ्य कर्मियों को अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया गया है और ब्लड बैंक संचालन की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।
बिना लाइसेंस संचालन पर बढ़ी चिंता
हालांकि खूंटी सदर अस्पताल में ब्लड की जरूरत हर दिन बनी रहती है, लेकिन बिना लाइसेंस संचालन को लेकर विभाग के भीतर चिंता बढ़ गई है। कई सामाजिक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। सिविल सर्जन ने सफाई दी है कि किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है। उन्होंने कहा, “लाइसेंस के रिन्युअल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। सरकार से स्वीकृति मिलते ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।” इस बीच, स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों से ब्लड बैंक की स्थिति रिपोर्ट मांगी है ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके।
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us