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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी देखने को मिली है। शुरुआती रुझानों से साफ है कि राज्य की राजनीति में महिलाओं ने एक निर्णायक भूमिका निभाई है। मतगणना के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ता दिख रहा है। महिलाओं की बड़ी संख्या में मतदान ने इस चुनावी बदलते समीकरणों में महत्वपूर्ण योग दिखाई दे रहा है। बिहार में महिला मतदाताओं ने पहले के मुकाबले इस बार रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया। माना जा रहा है कि महिलाओं के लिए संचालित योजनाओं, सुरक्षा से जुड़े कदमों और सामाजिक-आर्थिक लाभकारी कार्यक्रमों ने महिला वोटरों को एनडीए की ओर आकर्षित किया।
महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 10% ज्यादा मतदान किया
इस बार बिहार चुनाव दो चरणों में हुए दोनों चरणों में पुरुषों की तुलना में 4.34 लाख अधिक महिलाओं ने मतदानकिया। मतदान प्रतिशत देखें तो महिलाओं ने 71.6% और पुरुषों ने 62.8% वोट डाले। यानी कुल मिलाकर महिलाओं ने पुरुषों से लगभग 10% ज्यादा मतदान किया। बिहार में यही महिलाएं अब ‘साइलेंट फोर्स’ बनकर उभर रही हैं। वे जाति-धर्म से ऊपर उठकर मतदान कर रही हैं और सत्ता का पूरा समीकरण बदल रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि यही महिलाएं किसी पार्टी के लिए साइलेंट किलर बन जाती हैं, तो किसी को सत्ता की चाबी भी सौंप देती हैं। शराबबंदी लागू करने के बाद से नीतीश कुमार की लोकप्रियता महिलाओं में काफी बढ़ी है। ऐसे में यदि नतीजे एनडीए के पक्ष में आते हैं, तो नीतीश कुमार एक बार फिर सीएम बन सकते हैं।
योजनाओं और सुरक्षा के मुद्दों ने महिलाओं को रुझाया
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार की 243 सीटों पर महिलाओं ने बड़ी संख्या में मतदान किया है और इस बार उनका झुकाव नीतीश कुमार की ओर दिखाई देता है। उनका कहना है कि सिर्फ ‘10 हजारी योजना’ ही नहीं, बल्कि पिछले 20–25 वर्षों में चलाई गई योजनाएं जैसे साइकिल योजना से लेकर कई जनरेशनल स्कीमें महिलाओं के भीतर एक स्थायी भरोसा बना चुकी हैं। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि रिकॉर्ड मतदान का मतलब यह नहीं कि सत्ता बदलेगी ही या नहीं बदलेगी। महिलाएं अधिक संख्या में मतदान कर रही हैं, इसका सरल अर्थ यह है कि अब वे अपनी हिस्सेदारी और अपनी आवाज मजबूत कर रही हैं। यही वजह है कि बिहार में महिला वोटरों की भूमिका हमेशा से निर्णायक मानी गई है। यहां पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिलाएं हमेशा अधिक उत्साह के साथ मतदान करती रही हैं।
निर्णायक महिला वोट बैंक
बिहार में जहां पुरुष मतदाताओं के लिए जाति एक प्रमुख फैक्टर है, वहीं महिलाओं के लिए इसकी भूमिका कहीं कम होती है। अगर इस बार नीतीश कुमार महिलाओं के समर्थन से बड़ी जीत दर्ज कर फिर सत्ता में आते हैं, तो देश में एक नए प्रकार का निर्णायक महिला वोट बैंक स्थापित हो जाएगा। महिलाओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता किसी लाभार्थी योजना से ज्यादा उस धन का उपयोग परिवार, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और छोटे-मोटे उद्यमों में होता है और इस तरह वह सीधे समाज में वापस लौटता है।
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