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UP में मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाओं की होगी गहन जांच, शासन ने वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी, 30 बिंदुओं पर परखेंगे हकीकत

सीएम योगी ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक में मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था को लेकर असंतोष जताया था। इसके बाद उन्होंने सचिव स्तर के अधिकारियों को कॉलेजों का दौरा करने और स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी करने का निर्देश दिया था।

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Abhishek Mishra
govt assigned responsibility senior officials reality examined 30 points

यूपी में मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाओं की होगी गहन जांच Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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प्रदेश सरकार ने राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों की कार्यप्रणाली और व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। शासन स्तर के सचिवों को कॉलेजों का निरीक्षण करने का जिम्मा सौंपा गया है। अप्रैल माह में छह जिलों के कॉलेजों की जांच की जाएगी, जबकि शेष जिलों में मई में निरीक्षण किया जाएगा। यह जांच कुल 30 बिंदुओं पर आधारित होगी, जिसमें गर्मी के मौसम में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों से निपटने की तैयारियां भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद बड़ा कदम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक में मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था को लेकर असंतोष जताया था। इसके बाद शासन ने तय किया कि सचिव स्तर के अधिकारी स्वयं कॉलेजों का दौरा करेंगे और वहां की स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी लेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के निर्देशन में सचिव अपर्णा यू को गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं सचिव किंजल सिंह अयोध्या, लखीमपुर खीरी और हरदोई में निरीक्षण करेंगी। ये अधिकारी औचक दौरे कर कॉलेजों की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट प्रमुख सचिव को सौंपेंगे।

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30 बिंदुओं पर सुविधाओं की होगी पड़ताल

निरीक्षण के दौरान अस्पतालों में मौसमी बीमारियों से निपटने के इंतजाम, आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली, दवाओं की उपलब्धता, मेडिकल स्टाफ की तैनाती, ब्लड बैंक की स्थिति, सफाई व्यवस्था, बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण और पीजी सीटों में बढ़ोतरी संबंधी प्रगति की गहन जांच की जाएगी।

साल भर पहले दिए गए थे निर्देश

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प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2024 में सभी मेडिकल कॉलेजों को व्यवस्थाएं सुधारने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कई संस्थानों में लापरवाही बरती गई। इमरजेंसी में मरीजों को उचित इलाज के बजाय रेफर करना, बायोमीट्रिक उपस्थिति में गड़बड़ी और जरूरी उपकरणों की कमी जैसी शिकायतें सामने आईं। अब शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन संस्थानों में लापरवाही पाई जाएगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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