‘मांगलिक-अमांगलिक विवाह’ से जीवन में क्या परेशानियां होती हैं?
मंगल दोष तब बनता है जब कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो। इसे वैवाहिक जीवन में अशांति और संघर्ष का कारण माना जाता है।
मंगल दोष तब बनता है जब कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो। इसे वैवाहिक जीवन में अशांति और संघर्ष का कारण माना जाता है।
जब मंगल दोष वाला व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करता है जिसकी कुंडली में मंगल दोष नहीं है, तो उस स्थिति को ‘मांगलिक-अमांगलिक विवाह’ कहा जाता है।
ऐसे विवाह में पति-पत्नी के बीच लगातार झगड़े, गलतफहमियां और भावनात्मक दूरी हो सकती है। ग्रहों की असमान ऊर्जा संतुलन बिगाड़ती है।
मंगल दोष के प्रभाव से जीवनसाथी में गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, अमांगलिक से विवाह करने पर जीवनसाथी की आयु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर अगर दोष बहुत तीव्र हो।
मांगलिक-अमांगलिक विवाह में धन संबंधित बाधाएं, कर्ज़, या आर्थिक अस्थिरता बनी रह सकती है।
ऐसे जातकों को संतान प्राप्ति में देरी या समस्याएं आने की संभावना अधिक रहती है।
अगर विवाह अनिवार्य है तो वैदिक उपाय जैसे कि 'कुंभ विवाह', 'विशेष पूजा' या 'मंगल दोष शांति अनुष्ठान' करवाकर दोष को शांत किया जा सकता है।