नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व

आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व। श्रद्धालु गंगा घाटों पर एकत्र होकर सूर्य उपासना में लीन हैं। बाजारों में पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ रही है।

पहला दिन: नहाय-खाय

इस दिन भक्त नदियों या तालाबों में स्नान कर गंगाजल घर लाते हैं। फिर लौकी, चना दाल और चावल का सात्विक भोजन किया जाता है। इस दिन प्याज-लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता।

छठ पूजा का महत्व

यह पर्व आत्म-अनुशासन, शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। मुख्य रूप से बिहार, यूपी, झारखंड और पूर्वी भारत में मनाया जाता है।

दूसरा दिन: खरना

भक्त पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। सूर्यास्त के बाद खीर, रोटी और फल का भोग सूर्य देव को अर्पित करते हैं। इसके बाद प्रसाद परिवार और पड़ोसियों में बांटा जाता है।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। भक्त घाटों पर गन्ना, नारियल और ठेकुआ से सजी टोकरी लेकर पहुँचते हैं। सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण

प्रातःकाल भक्त उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। जल में खड़े होकर परिवार की मंगलकामना करते हैं। पूजा के बाद व्रत तोड़कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा की मान्यता

माना जाता है कि छठी मैया और सूर्य देव की उपासना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

संयम, श्रद्धा और आत्म-शुद्धि का व्रत है छठ

यह पर्व हमें संयम, श्रद्धा और आत्म-शुद्धि सिखाता है। प्रकृति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है।

सच्ची भक्ति त्याग है छठ व्रत

व्रती अपने आचरण और जीवन में शुद्धता और अनुशासन लाते हैं। छठ पूजा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति त्याग और आस्था से पूर्ण होती है।