प्रसिद्ध मंदिरों में कैसे मनाते हैं Holi ?
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर होली के दौरान एक अलग ही रंग में रंग जाता है। यहां फूलों और रंगों की होली खेली जाती है, जिसे 'फूलों वाली होली' कहा जाता है।
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर होली के दौरान एक अलग ही रंग में रंग जाता है। यहां फूलों और रंगों की होली खेली जाती है, जिसे 'फूलों वाली होली' कहा जाता है।
बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। यहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष ढालों से अपना बचाव करते हैं। यह परंपरा भगवान कृष्ण और राधा के समय से चली आ रही है।
मथुरा में होली का उत्सव एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाता है। द्वारकाधीश मंदिर में रंग-बिरंगे गुलाल और फूलों से होली खेली जाती है। यहां भक्त भगवान कृष्ण के भजनों पर नृत्य करते हैं।
वाराणसी में गंगा घाटों पर होली का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। यहां रंगभरी एकादशी के दिन होली खेली जाती है, जिसे काशी विश्वनाथ की पारंपरिक होली भी कहा जाता है। लोग गंगा आरती के बाद रंगों में सराबोर हो जाते हैं।
जयपुर में होली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। गोविंद देव जी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और रंग-गुलाल का आयोजन होता है। यहां भक्त भगवान कृष्ण के साथ होली का आनंद लेते हैं।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होली का उत्सव बहुत ही खास होता है। यहां भक्त भगवान शिव को गुलाल अर्पित करते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं। यहां होली के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
मायापुर के इस्कॉन मंदिर में होली का उत्सव बहुत ही भव्य होता है। यहां विदेशी भक्त भी भारतीय परंपरा के अनुसार होली खेलते हैं। मंदिर में भगवान कृष्ण के भजन और कीर्तन होते हैं।
श्रीरंगम के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में होली का उत्सव बहुत ही पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। यहां भगवान विष्णु को गुलाल अर्पित किया जाता है और भक्त एक दूसरे को रंग लगाते हैं।