चूड़ियां बेचने वाली मां का बेटा बना जिलाधिकारी, जानिए रमेश घोलप की प्रेरक कहानी

रमेश घोलप एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं जो पोलियो जैसी शारीरिक अक्षमता और बेहद गरीबी के बावजूद अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से यह मुकाम हासिल किया।

मां बनीं सहारा

पिता के जाने के बाद, परिवार की जिम्मेदारी रमेश की मां पर आ गई। उन्होंने चूड़ियां बनाकर अपने बच्चों को पाला। रमेश दुखी थे और परीक्षा छोड़ना चाहते थे, लेकिन मां ने उन्हें पिता से किया हुआ वादा याद दिलाया

सरकारी नौकरी मिली, लेकिन सपना अधूरा

संघर्ष के दिनों में रमेश को 2001 में प्राथमिक शिक्षक की नौकरी मिल गई। लेकिन 2010 तक भी उनका अपना घर नहीं बन पाया था। उन्हें लगता था कि जिंदगी में कुछ बड़ा करना है।

सिविल सेवा की राह चुनी

रमेश ने तय किया कि वे सरकारी नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की परीक्षा देंगे। मां ने भी हौसला बढ़ाया

आईएएस बनने के बाद मां की सीख

आईएएस बनने के बाद रमेश की मां ने उन्हें समझाया कि जो हालात हमारे थे, वैसे बहुत लोग आज भी हैं। गरीबों की समस्याएं पहले सुनो, उनकी मदद करो।

प्रेरणा का नाम बने रमेश घोलप

आज रमेश घोलप न सिर्फ एक सफल अधिकारी हैं, बल्कि संघर्ष और जिद की मिसाल भी हैं सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी के रूप में साझा कर रहे हैं।

हर बेटे के लिए एक संदेश

रमेश कहते हैं मेरी मां ने कभी हार नहीं मानी, मैं सिर्फ वही करता गया जो उन्होंने सिखाया। वह कहती हैं मेहनत करो, उम्मीद मत छोड़ो।