सरगी खाने के साथ करें शुरूआत
करवा चौथ व्रत शुरूआत सरगी खाने से होती है। शाम के समय करवा, भगवान शिव, मां पार्वती, और गणेश जी की स्थापना की जाती है। करवा चौथ की कथा सुनने के बाद चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
करवा चौथ व्रत शुरूआत सरगी खाने से होती है। शाम के समय करवा, भगवान शिव, मां पार्वती, और गणेश जी की स्थापना की जाती है। करवा चौथ की कथा सुनने के बाद चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
मिट्टी का करवा पारंपरिक होता है, इसे जल से भरकर पूजा में शामिल करें, यह जीवन में समृद्धि का प्रतीक है।
मां पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री जैसे सिन्दूर, चंदन, गंध आदि अर्पित करें, जो उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
स्वस्तिक चिन्ह शुभता का प्रतीक है, इसे बनाना जरूरी है क्योंकि यह पूजा को पवित्र करता है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत का फल मिलता है। यह दिन के अंत की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
करवाचौथ पर व्रत की महिमा और कथा सुननी चाहिए। तभी व्रत का फल मिलता है ।
करवा चौथ की कथा सुनने के बाद चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
महिलाएं छलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखती हैं। अंत में पति द्वारा जल पिलाकर व्रत का पारण कराया जाता है। पूजा के बाद सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना आवश्यक माना जाता है।