बचपन में नाक से गाती थीं मैथिली ठाकुर, जानिए संगीत से सियासत तक का सफर!
लोकगीत गायिका मैथिली ठाकुर इन दिनों अपने सुरों और संगीत के लिए नहीं, बल्कि राजनीति में एंट्री करने को लेकर चर्चा में हैं।
लोकगीत गायिका मैथिली ठाकुर इन दिनों अपने सुरों और संगीत के लिए नहीं, बल्कि राजनीति में एंट्री करने को लेकर चर्चा में हैं।
बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव से निकलकर मैथिली ने साबित किया कि हुनर को मंच नहीं, मेहनत चाहिए। उन्होंने बताया बचपन में सब कहते थे कि नाक से गाती है।
मैथिली ठाकुर के बचपन से ही संगीत उनकी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि जब वे छोटी थीं तब उनकी सुबह संगीत अभ्यास से होती थी।
13 साल की उम्र में मैथिली ने सिंगिंग रियलिटी शो 'सारेगामापा लिटिल चैंप्स' और 'इंडियन आइडल जूनियर' में रिजेक्ट हुईं लेकिन हिम्मत नहीं हारी और 16 साल की उम्र में 'द राइजिंग स्टार' की पहली रनरअप बनीं।
मैथिली ठाकुर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में की। इसके बाद उनका पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक किया।
युवा गायिका मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। वह लोक गीतों, शास्त्रीय और भजन गायन के लिए काफी चर्चित हैं
लोकगायिका मैथिली ठाकुर अब संगीत के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रख चुकी हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें दरभंगा जिले की अलीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है।
मैथिली की उम्र 25 साल है और यूट्यूब पर उनके पांच मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं इंस्टाग्राम पर उनके 6.4 मिलियन फॉलोअर्स हैं। वह एक कार्यक्रम के लिए 5 से 8 लाख रुपये तक लेती हैं।
संगीत मैथिली के जीवन का केन्द्र बिंदु है। लोक, भक्ति गीत, छठ गीत, पारंपरिक मैथिली गीतों के अलावा वे भोजपुरी और हिंदी गीत भी गाती हैं।