भूखे पेट सोने वाले किसान ने बेटे को कैसे बनाया IAS?

यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह मथुरा के एक गरीब किसान परिवार में जन्मे। घोर गरीबी का सामना किया। खेतों में पिता का हाथ बंटाते हुए पढ़ाई नहीं छोड़ी। पिता का सपना पूरा करने के लिए IAS बनने की ठानी और 2005 में 21वीं रैंक हासिल कर IAS बने।

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गरीबी में बीता बचपन

IAS सुरेंद्र सिंह का जन्म मथुरा जिले के जोधपुर गांव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ। घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कई बार भूखे पेट ही सोना पड़ा।

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खेतों में काम और पढ़ाई

स्कूल से लौटने के बाद सुरेंद्र अपने पिता हरी सिंह के साथ खेतों में काम करते थे। गरीबी के बाद, पढ़ाई के प्रति उनका समर्पण कभी कम नहीं हुआ।

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पिता का बड़ा सपना

सुरेंद्र के पिता का सपना था कि उनका बेटा बड़ा होकर कलेक्टर बने। यह सपना ही सुरेंद्र सिंह के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बना।

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गोल्ड मेडलिस्ट शिक्षा

सुरेंद्र ने गांव के प्राथमिक स्कूल से 8वीं तक की पढ़ाई की। बाद में दिल्ली और राजस्थान में पढ़े, जहां एमएससी में वह गोल्ड मेडलिस्ट रहे।

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नौकरी ठुकराई, सपना नहीं

सुरेंद्र सिंह का चयन एयरफोर्स और फिर ओएनजीसी में में हुआ। लेकिन IAS बनने के पिता के सपने को पूरा करने के लिए नौकरियां छोड़ दीं।

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IAS बनने की ठान ली

यूपीएससी की तैयारी के दौरान, सुरेंद्र ने तीन बार पीसीएस परीक्षा पास की, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। उनका संकल्प था IAS बनना।

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सपना साकार, बने IAS

आखिरकार, 2005 में यूपीएससी में 21वीं रैंक हासिल सुरेंद्र ने अपने पिता का सपना पूरा किया। वर्तमान में यूपी सीएम योगी के सचिव हैं।

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