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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
किसान ने कृषि यंत्र पर सब्सिडी के लिए आवेदन क्या कर दिया। उसके लिए यह जी का जंजाल बन गया। कृषि विभाग के बाबू प्रखर सक्सेना ने किसान से कृषि यंत्र देने के बदले 5000 हजार रुपये की घूस मांगी। इसके लिए बाबू ने कुलदीप नाम के कर्मचारी से किसान को
पहले फोन कराके कृषि विभाग के दफ्तर बुलवाया। पीड़ित किसान ने कृषि विभाग के डीडी से लेकर जेडी, डीएम और शासन तक शिकायत कर दी। इन शिकायतों में जांच पर जांच खूब बैठी। मगर,अब तक कृषि विभाग के बाबू प्रखर सक्सेना और कर्मचारी कुलदीप पर आंच नहीं आई। अब पीड़ित किसान ने तहसील दिवस में पहुंचकर फिर से न्याय की गुहार लगाई। डीएम ने फिलहाल किसान को कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
तहसील आंवला के किसान चैतन्य प्रकाश ने चार महीने पहले कृषि यंत्र पर सब्सिडी पाने के लिए कृषि विभाग में आवेदन किया था।
पात्रता के सर्वे में इनका कृषि यंत्र के लिए चयन भी हो गया। उसके बाद डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय बिलवा में कार्यरत कर्मचारी कुलदीप
ने किसान को फोन करके कहा कि आपको कृषि विभाग के बिलवा कार्यालय में आकर वरिष्ठ सहायक प्रखर सक्सेना से मिलना पड़ेगा।
उसके बाद ही कृषि यंत्र पर सब्सिडी मिल पाएगी। भोलेभाले किसान को क्या पता था कि कृषि विभाग के दफ्तर में जाकर उससे घूस मांगी जाएगी।
किसान चैतन्य प्रकाश ने कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय बिलवा पहुंचकर कर्मचारी कुलदीप से पूछा तो उसने बाबू प्रखर सक्सेना के पास भेज दिया। किसान के अनुसार डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के बाबू प्रखर सक्सेना ने उससे कहा कि आप 5000 रुपए लाए हो तो दे दो। कृषि यंत्र की सब्सिडी आपके खाते में पहुंच जाएगी। चैतन्य प्रकाश ने बाबू से पूछा- पांच हजार रुपये किस बात के। इस पर बाबू प्रखर सक्सेना ने कहा कि ये तो कृषि विभाग की व्यवस्था है। नीचे से ऊपर तक सबको देना पड़ता है। सभी पात्र इस व्यवस्था का पालन करते हैं तो तुम (किसान चैतन्य प्रकाश) भी सिस्टम फॉलो करो।
किसान ने बगल में ही बैठे डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह से बाबू के घूस मांगने की शिकायत की। किसान का कहना है कि उसकी शिकायत पर डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि बाबू ने 5000 रुपये कम मांगे। कम से कम 10 हजार रुपये मांगने चाहिए थे। वह बाबू प्रखर से कहेंगे कि रेट क्यों खराब कर रहे हो। डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह के इस व्यवहार से किसान बहुत निराश हुआ।
किसान ने डीएम रविंद्र कुमार से शिकायत की। डीएम के आदेश पर यह जांच फिर से डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को मिल गई। इस बार तो डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह फुल फॉर्म में थे। उन्होंने बाबू प्रखर सक्सेना के बजाय किसान चैतन्य प्रकाश को ही नोटिस जारी करके धमकाया। पीड़ित किसान ने भी हिम्मत दिखाते हुए लखनऊ अपर मुख्य सचिव कृषि और मुख्यमंत्री कार्यालय में जाकर मामले की शिकायत की। शासन से डायरकेक्टर जितेंद्र तोमर ने संयुक्त निदेशक कृषि राजेश कुमार को जांच करके रिपोर्ट मांग ली। मगर, व्यवस्था फिर से वही। जेडीए से जांच फिर डिप्टी डायरेक्टर कृषि को पहुंची। फिर उसमें बाबू के पक्ष में रिपोर्ट लगाने की लाबिंग चलने लगी। प्रत्येक जांच अधिकारी इस बात के सबूत किसान से मांग रहा है कि पांच हजार रुपये मांगने का सबूत दो। जबकि किसान का कहना है कि डीडी कृषि के कर्मचारी कुलदीप ने उसे फोन किया। उसकी कॉल डिटेल मौजूद है। वह उनके दफ्तर जाकर बाबू प्रखर सक्सेना से मिला। इसको सीसीटीवी में दिखवा सकते हैं। फिर और क्या सबूत चाहिए। लखनऊ से जांच के आदेश होने के बाद भी कृषि विभाग के अफसरों ने एक बाबू को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। किसान जाए भाड़ में।
तहसील दिवस में पीड़त किसान फिर से जिलाधिकारी रवींद्र कुमार से मिला। उनके साथ तमाम किसान और भी थे। किसान यूनियन के नेता प्रताप सिंह ने भी तहसील दिवस में अफसरों से कहा कि पीड़ित किसान चैतन्य प्रकाश को अगर न्याय नहीं मिला तो किसान यूनियन सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में धरना प्रदर्शन करेगी। किसानों के उग्र होने के बाद डीएम ने पीड़ित किसान को आश्वासन दिया कि कृषि यंत्र देने के बदले में 5000 की घूस मांगने वाले बाबू प्रखर सक्सेना और कुलदीप पर कार्यवाही की जायगी।