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राजस्व अभिलेखों में जीवित को मृत दिखाने वाले कई मामले सामने आए, लेकिन यहां अपर एसडीएम सदर की कोर्ट में आश्चर्यचकित करने वाला एक मामला सामने आया है। कोर्ट में मृतक मां-बेटे के विरुद्ध भी 10 महीने तक मुकदमा चला। ये बात दीगर है कि कोर्ट को जब पता चला तो वाद निरस्त कर दिया, लेकिन तब तक मुकदमे की अवधि करीब 10 महीने बीच गई।
प्रकरण सदर तहसील के गांव दुवारी का है। श्यामलाल आदि ने अपर एसडीएम कोर्ट में 10 अक्टूबर 2024 को जमीन के बंटवारे का मुकदमा दाखिल किया था। इसमें उन्होंने जानकी देवी व उनके बेटे मुन्नालाल के साथ ही उनके पति व अन्य तीन बेटों को भी आरोपी बना रखा था। जबकि, जानकी देवी की मृत्यु 17 जून 2018 और उनके बेटे मुन्नालाल की मृत्यु 12 मई 2023 को हो गई थी। लेकिन, यह बात श्यामलाल ने कोर्ट को नहीं बताई। लेकिन, मुकदमे की सुनवाई के बीच 11 अप्रैल 2025 को प्रतिवादी लेखराज व चंद्रपाल ने कोर्ट को बताया दिया कि मुकदमे में नामित प्रतिवादी जानकी देवी और उनके बेटे मुन्नालाल की काफी समय पूर्व मृत्यु हो चुकी है।
इसके बाद भी श्यामलाल ने इन्हें प्रतिवादी बना रखा है। इनकी मृत्यु की पुष्टि के लिए लेखराज व चंद्रपाल को मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवाकर कोर्ट में प्रस्तुत करने पड़े थे। लेखराज व चंद्रपाल ने कोर्ट को ये भी बताया कि उनके विपक्षी को जानकी व मुन्नालाल की मृत्यु की बखूबी जानकारी थी, फिर भी उन्हें मुकदमे में प्रतिवादी बनाया।
इन लोगों को मुकदमे में बनाया था प्रतिवादी
श्यामलाल ने गांव के ही नन्हें लाल और इनकी पत्नी जानकी देवी एवं चारों बेटे मैकूलाल, मुन्नालाल, लेखराज, लक्ष्मन प्रसाद के साथ ही मूलचंद्र के बेटे दुर्गाप्रसाद व पूरन लाल के विरुद्ध वाद दाखिल किया था। इसमें गांव के ही धनीराम के दोनों बेटे चंद्रपाल व होरी लाल भी थे। यह मुकदमा भूमि गाटा-142 रकबा 0.0890 हेक्टेयर से जुड़ा था। बंटवारे के इस मामले में इन लोगों के बीच आए दिन विवाद होता रहता था।
दोषपूर्ण मानकर निरस्त किया वाद
इस मामले में अपर एसडीएम कोर्ट के पीठासीन अधिकारी रामजनम यादव ने 16 जुलाई को अंतिम सुनवाई कर फैसला दिया कि वादीगण श्यामलाल आदि का मुकदमा दोषपूर्ण है, चूंकि इसमें मृतकों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। जिस पर मुकदमा निरस्त किया जाता है।
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