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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
एक पल की नींद की झपकी ने 27 वर्षीय जीआरपी सिपाही विनीत कुमार यादव की जिंदगी छीन ली। मुरादाबाद में स्क्वॉयड ड्यूटी पूरी कर लौट रहे विनीत ट्रेन के गेट पर खड़े थे, तभी नींद का झोंका आने से उनका संतुलन बिगड़ा और वह ट्रेन से नीचे गिर गए। इस हादसे में उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। दो मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया, और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।
जानकारी के अनुसार, फर्रुखाबाद जिले के थाना कंपिल क्षेत्र के गांव बलीपुर गढ़ी निवासी विनीत कुमार यादव (27) पुत्र सुरेश चंद्र यादव बरेली जीआरपी में सिपाही के पद पर तैनात थे। सोमवार को वह मुरादाबाद में स्क्वॉयड ड्यूटी पर गए थे। ड्यूटी पूरी करने के बाद वह रात करीब 4:00 बजे ट्रेन से बरेली लौट रहे थे। इस दौरान वह ट्रेन के गेट पर खड़े थे। बताया जा रहा है कि थकान और नींद के कारण उनका संतुलन बिगड़ा, और वह ट्रेन से नीचे गिर गए। हादसे में उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
विनीत के पिता सुरेश चंद्र यादव दिल्ली में आईएचसी कॉलेज में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। विनीत अपने पीछे पत्नी नेहा और दो छोटे बच्चों प्रियांशी और बंसी, को छोड़ गए हैं। जैसे ही हादसे की खबर परिवार को मिली, घर में कोहराम मच गया। पत्नी नेहा का रो-रोकर बुरा हाल है, और बच्चों की हालत देखकर आसपास के लोग भी सदमे में हैं। पड़ोसियों और रिश्तेदारों की भीड़ मृतक के घर पर जमा हो गई है, जो परिवार को सांत्वना दे रहे हैं।
विनीत की मौत की खबर से जीआरपी बरेली में भी शोक की लहर दौड़ गई। उनके सहकर्मियों ने बताया कि विनीत एक कर्तव्यनिष्ठ और मिलनसार सिपाही थे। उनके अचानक चले जाने से विभाग में सन्नाटा पसर गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने घटना पर दुख जताया और मृतक के परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
इस घटना ने ट्रेनों में यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। रात के समय थकान और नींद के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए रेलवे और पुलिस प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। लोगों का कहना है कि ट्रेनों के गेट पर सुरक्षा उपायों की कमी के कारण इस तरह की घटनाएं होती हैं।
विनीत के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। परिवार ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद शव को उनके पैतृक गांव बलीपुर गढ़ी लाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दुखद घड़ी में गांव के लोग और रिश्तेदार परिवार के साथ खड़े हैं।