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नगर निगम बरेली
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
अक्सर सरकार में रहते हुए सत्ताधारी दल के आनुषंगिक संगठन किसी मुद्दे को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन नहीं करते। लेकिन, नगर निगम में एबीवीपी का धरना प्रदर्शन बिना मतलब में हुआ। उसके विरोध में नगर निगम कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। तीन दिन से अब शहर की सफाई व्यवस्था ठप हैं। वार्डों में कूड़े के ढेर लगे हैं। मगर, जिनके कंधों पर शहर चलाने की जिम्मेदारी है, वह टेंडरों में 12 से 15% कमीशन पाने के लिए पर्दे के पीछे से छात्रों के कंधे पर बंदूक रखकर धरना प्रदर्शन का खेलने में लगे हैं। शहर बर्बादी की कगार पर है।
आठ साल पहले बरेली को सिंगापुर की तर्ज पर स्मार्ट बनाने के दावे करने वाले माननीय शहर की जनता को बदहाली में धकेलने के बाद नगर निगम से सिर्फ अपनी ऊपरी कमाई करने में लगे हैं। अगर कोई उस कमाई में बाधा डालता है तो वह भाजपा के संगठन से जुड़े नेताओं को अटैची और लिफाफे देकर विभिन्न संगठनों के जरिए नगर निगम में धरना प्रदर्शन कराकर अफसरों की गाड़ियों का घेराव कराते हैं। नगर निगम के अफसरों का बनावटी भीड़ भेजकर घेराव कराने का मकसद यह होता है कि नगर निगम के सीनियर अफसर उनके हिसाब से सड़क, नाली, नाला,निर्माण, सीवर लाइन, विज्ञापन, लाइट खरीद, विज्ञापन, दुकानों की नीलामी की जो फाइल वह भेजें, वह बिना पढ़े तुरंत स्वीकृत हो जाए। नगर निगम के अफसर और इंजीनियर अपना कमीशन भले ही बाद में लें। मगर, जिन टेंडरों का कमीशन उनके पास पहुंच जाए, वह फाइल किसी की टेबल पर पेमेंट के लिए न रुके। सूत्रों के अनुसार नगर निगम के एक बड़े अफसर ने कुछ ठेकेदारों की पेमेंट की फाइलें रोक दी क्योंकि उनके काम निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं हैं। इसीलिए, माननीय की तरफ से भाजपा की महानगर इकाई के एक नेता के जरिए एबीवीपी कार्यकर्ताओ का अचानक धरना प्रदर्शन नगर निगम में मैनेज कराया गया। ताकि उन अफसर पर ठेकेदारों के कामों के तुरंत भुगतान का दबाव बनाया जा सके। यही पर्दे के पीछे की असली कहानी है।
नगर आयुक्त एन सैमुअल पाल के खिलाफ भी पार्षदों ने किया था धरना प्रदर्शन
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माननीय के पिछले कार्यकाल में नगर निगम के पार्षदों ने तत्कालीन नगर आयुक्त एन सैमुअल पाल के खिलाफ भी धरना प्रदर्शन किया था। उसकी वजह भी नगर निगम के टेंडरो में कमीशन की लड़ाई ही थी। तब, तत्कालीन नगर आयुक्त के खिलाफ पार्षदों के खिलाफ कई दिन तक धरना प्रदर्शन चला था। माननीय के अंध समर्थक कुछ पार्षदों पर एफआईआर भी दर्ज हो गई थी। जानकारों का कहना है कि तत्कालीन नगर आयुक्त एन सैमुअल पाल ईमानदार अधिकारी थे। वह नगर निगम के काम गुणवत्तापूर्ण कराना चाहते थे। लेकिन, माननीय का मकसद कामों की गुणवत्ता से न होकर सिर्फ निजी लाभ कमाकर जमीनें खरीदना है। इसलिए, जो भी अधिकारी ठेकों की फाइल उनके हिसाब से नहीं चलाता है। उसके खिलाफ पहले धरना प्रदर्शन करवाकर माहौल बनाया जाता है। फिर, शासन से उस अफसर को हटाने की पैरवी शुरू कर दी जाती हैं। एबीवीपी का धरना प्रदर्शन भी इसी पटकथा की शुरुआत है।
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