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कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के घोटालेबाज अफसरों पर लटकी तलवार... किसी भी वक्त हो सकते हैं निलंबित

कृषि और भूमि संरक्षण में 15 करोड़ के घोटाले में घोटालेबाज अफसरों पर शासन से निलंबन की कार्रवाई किसी भी वक्त हो सकती है। इनमें एक का तबादला पिछले दिनों बांदा हो चुका है।

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Sudhakar Shukla
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बिलवा नैनीताल रोड बरेली

डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बिलवा नैनीताल रोड बरेली

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता। 

बीते दो साल से तमाम जांचें होने के बाद कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के घोटालेबाज अफसर और बाबुओं का अंत समय नजदीक आ चुका है। शासन से कुछ अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कृषि और भूमि संरक्षण के दो अफसरों को किसी भी वक्त निलंबन आदेश थमाया जा सकता है। इनमें भूमि संरक्षण विभाग के एक तथाकथित अफसर का तबादला इसी साल जून में बांदा हो चुका है जबकि दूसरे कार्रवाई की जद में आने वाले कृषि विभाग के अफसर अभी फिलहाल बरेली में ही कार्यरत हैं। दोनों को निलंबित करके जल्द ही लखनऊ मुख्यालय अटैच करने की तैयारी है। उसके बाद कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के घपलेबाज बाबुओं का नंबर आएगा। 

मोदी और योगी सरकार जहां दिन-रात मेहनत करके देश और प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने में जुटी है। वहीं कृषि विभाग के घपलेबाज बाबू और अफसरों ने सरकार के तमाम मंसूबों पर पानी फेरते हुए बरेली में  15 से 20 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला करके ए या बी क्लास शहरों में अपनी आलीशान कोठियां खड़ी कर लीं। वर्ष 2022-23 में आत्मा, एनएफएसएम, किसान कल्याण, कृषि सब्सिडी, कृषि गोष्ठी में किसानों के नाश्ते और भोजन के लिए आई 25 लाख से ज्यादा की धनराशि तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी के कार्यकाल में कृषि विभाग के जिला योजना सलाहकार, बाबू, गोदाम इंचार्ज, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, पीपीओ, तत्कालीन डीएओ ने नियम विरूद्ध अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर ली। उस समय से सीडीओ जग प्रवेश ने इस धनराशि की वसूली के आदेश दिए थे। मगर, डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह ने किसी घोटालेबाज से इस धनराशि की वसूली नहीं की। उल्टे घपलेबाज बाबू, गोदाम इंचार्ज और बाकी स्टाफ को पूरा संरक्षण प्रदान किया। शासन से डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह पर सख्त कार्रवाई के निर्देश डायरेक्टर कृषि पंकज त्रिपाठी को दिए गए हैं। डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को किसी भी वक्त निलंबित करके मुख्यालय से अटैच किया जा सकता है। इसके बाद नए डिप्टी डायरेक्टर के चार्ज संभालते ही घोटालेबाज बाबू भी कार्रवाई की जद में आएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जो बाबू कार्रवाई की जद में हैं, उनमें भूमि संरक्षण विभाग के घोटालेबाज बाबू मोहन सिंह भंडारी, कृषि विभाग में गिरीशचंद्र उर्फ पहाड़ी बाबू, प्रखर सक्सेना, बरेली से मेरठ स्थानांतरित हो चुके महाघपलेबाज बाबू शिवकुमार उर्फ बुलट राजा शामिल हैं। इनके अलावा कुछ अन्य बाबू और गोदाम इंचार्जों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक चुकी है। 

पूर्व कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह पर भी लटकी तलवार  

बरेली के पूर्व कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्दि और डब्ल्यूडीसी योजनाओं में 15 करोड़ से ज्यादा के काम कराने के नाम पर सिर्फ खानापूरी की। सूत्रों के अनुसार इन्होंने इस धनराशि में से अधिकांश धनराशि अपने विभाग में बरेली में अवर अभियंता होने के बाद भी बदायूं से घोटालेबाज अवर अभियंता को अटैच करके कच्चे और पक्के काम कराने के नाम पर हड़प कर ली। मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के आदेश पर टीएस ने इस घोटाले की जांच की थी। तब संजय सिंह ने तमाम पत्र लिखने के बाद भी जांच टीम को अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए। उसके बाद पिछले दिनों शासन से कृषि विभाग की टीम ने भी आंवला के कुछ गांवों में जाकर खानापूरी टाइप की जांच की। सूत्रों के अनुसार तमाम जांच रिपोर्ट में पूर्व बीएसए संजय सिंह को इन योजनाओं में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा के घपले और वित्तीय अनियमितताओं का जिम्मेदार माना गया है। पूर्व बीएसए संजय सिंह की तमाम शिकायतों को देखते हुए जून 2025 में बुंदेलखंड के बांदा जिले में तबादला किया गया था। अब उनको निलंबित करने की तैयारी कृषि विभाग ने कर ली है। पूर्व बीएसए संजय सिंह को कभी भी निलंबित किया जा सकता है। संजय सिंह के अलावा उनके विभाग के कुछ जेई, एई, सुपरवाइजर समेत अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण पर भी हो सकती है कार्रवाई 

शासन के निर्देश पर सबसे पहले भूमि संरक्षण घोटाले की जांच डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह को दी गई थी। उन्होंने सही तरीके से जांच न करके पूर्व बीएसए संजय सिंह समेत उनके पूरे स्टाफ को अपनी जांच में क्लीनचिट दे दी थी। जबकि उसके बाद टीएसी जांच में इन सबको घोटाले का जिम्मेदार ठहराया गया था। सूत्रों के अनुसार पूर्व बीएसए संजय सिंह और डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक ही शहर से आकर नौकरी करते थे। दोनों के बीच काफी बेहतर तालमेल था। इसलिए, डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण ने अपने स्तर से हर मुमकिन कोशिश की कि करोड़ों के घोटाले में संजय सिंह को बेदाग साबित कर दें। मगर, उनकी कोशिश कामयाब नहीं हुई। जांच की खानापूरी करने में डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह पर भी देर-सबेर कार्रवाई होने के प्रबल आसार हैं। 

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