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कृषि विभाग : वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ...

कृषि विभाग में लंबे समय से जमें मजनूं बाबू का तबादला 15 जून को जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में हो गया था। मगर, वह रिलीव नहीं हो रहे थे। अब आखिरकार उनको रिलीव होना ही पड़ा

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Sudhakar Shukla
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा

डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा

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बरेली,वाईबीएसंवाददाता

वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ...। चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों ...चलो एक बार फिर से...। डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय में मजनूं बाबू को लंबे जद्दोजेहद के बाद आखिरकार रिलीव होना पड़ गया। तबसे कार्यालय में सन्नाटे जैसा माहौल है। मजनूं बाबू ने अपने पुराने कार्यालय से रिलीव न होने के लिए सारे जतन कर लिए थे। बरेली से लेकर लखनऊ तक पूरी जुगाड़ कर ली। मगर, बात नहीं बनी। सीएम पोर्टल पर शिकायत होने के बाद कार्यवाहक डिप्टी डायरेक्टर कृषि भी उनको रिलीव करने के लिए मजबूर हो गईं। उनके साथ एक अन्य बाबू को भी अपना बोरिया-बिस्तर नए कार्यालय के लिए बांधना पड़ गया। 

दरअसल, डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय कृषि नैनीताल रोड बिलवा में लंबे समय से कार्यरत एक बाबू अपने काम से ज्यादा गहरी दोस्ती के लिए चर्चा में रहते आए हैं। उनके स्टाफ के साथियों ने बाबू जी का नाम मजनूं बाबू रख दिया था। सूत्रों के अनुसार मजनूं बाबू की अपने ही ऑफिस में सहकर्मी से दोस्ती हो गई। वह दोस्ती इतनी गहरी है कि उसके चर्चे हर जुबान पर थे। ऑफिस के बाकी सहकर्मी आपस में इस बात की अक्सर चर्चा करते थे कि मजनूं बाबू अपनी दोस्त के साथ परिवार से छुप-छुपकर अक्सर पीलीभीत के चूका बीच और पहाड़ों के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल घूमने जाते थे। इतना ही नहीं, जब मजनूं बाबू अपने दफ्तर में भी काम करने आते थे तो अपनी दोस्त को सामने ही कुर्सी डलवाकर बिठाते थे। कुछ अरसे तक तो एक ही साथ दोनों चाय भी पीते थे। दोस्त के पास-आवागमन का साधन न होने की वजह से मजनूं बाबू सुबह उनके कमरे से अपनी गाड़ी से ऑफिस तक लाते थे और शाम को ऑफिस बंद होने के बाद छोड़ने भी जाते थे। 15 जून 2025 को मजनूं बाबू का तबादला जिला कृषि अधिकारी कार्यालय विकास भवन हो गया। हालांकि वह ऑफिस भी पुराने ऑफिस से बहुत ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन मजनूं बाबू और उनकी दोस्त इस बात से परेशान थे कि आखिरकार इतनी दूरी वह कैसे बर्दाश्त करेंगे। इसीलिए, मजनूं बाबू तबादला होने के बाद भी पुराने ऑफिस से रिलीव नहीं होना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सारे तीन तिकड़म लगा लिए। मगर, होनी को कौन टाल सकता है। सीएम पोर्टल पर शिकायत होने के बाद बाबू जी को अपनी सबसे खास दोस्त को पुराने ऑफिस में अकेले छोड़कर रिलीव होना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि जिस दिन से बाबू जी रिलीव हुए। उस दिन से उनकी दोस्त भी अवसाद में आ गई और अवकाश लेकर ऑफिस से गायब हो गईं। हालांकि बाबूजी की शादी हो चुकी है। उनकी पत्नी भोजीपुरा के एक परिषदीय स्कूल में टीचर हैं। मजनूं बाबू के रिलीव होने के बाद उनके पुराने ऑफिस के साथीगण उसके बाद से यही फिल्मी गीत गुनगुना रहे हैं कि चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों ...चलो एक बार फिर से। 

किसान कल्याण निधि की रकम ठिकाने लगाने में चल रही है जांच

खास बात यह है कि मजनूं बाबू ने तीन साल पहले तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर कृषि के संरक्षण में किसान कल्याण निधि की रकम अपने खाते में पेड बाई मी करके ट्रांसफर कर ली थी। इतना ही नहीं, बाबू जी ने वह रकम न केवल अपने बैंक खाते बल्कि तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारियों के खाते में भी पेड बाई मी करके ट्रांसफर की थी। उस मामले की जांच अभी चल रही है। पहले एक बार इस केस की जांच हो चुकी है। उसमें पेड बाई मी की रकम ट्रांसफर करने के लिए तत्कालीन सीडीओ जग प्रवेश ने मजनूं बाबू समेत कई अधिकारियों को दोषी ठहराया था और उस रकम की वसूली के आदेश दिए थे। उसी जांच में कार्रवाई न करने पर पूर्व डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह निलंबित हो चुके हैं। 

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