/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/23/whatsapp-image-2025-09-23-22-09-51.jpeg)
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
कृषि विभाग डीडी ऑफिस के पुराने बाबू और टीए पर आरोप है कि एक बार फिर से वे अपने पुराने अंदाज में सक्रिय हो गए हैं। हाल ही में बहेड़ी से स्थानांतरित होकर आए एक बाबू ने मुजफ्फरनगर के टीए के साथ मिलकर नूप योजना में 4 लाख 75 हजार से अधिक के पुराने रिजेक्टेड बिल नए डीडी से स्वीकृत कराने की तैयारी कर ली है।
कानाफूसी इस बात की चल रही है कि अपना मूल काम छोड़कर बहेड़ी क्षेत्र के संबंधित दुकानदारों से सम्पर्क भी साधा जा रहा है, साथ ही पुराने बिलों की खोजबीन भी होने लगी है। यह वही बिल हैं जिनको पुराने डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह निलंबित होने से पहले रिजेक्ट कर गए थे। आरोप है कि जिस फर्म के नाम से बिल काटे गए हैं डीडी दफ्तर के बाबू और टीए उसमें अघोषित पार्टनर भी हैं।
कृषि विभाग की नेशनल मिशन ऑन ऑयल शीड एंड एडिबल ऑयल पॉम (नूप) पहले इसी दफ्तर के मजनू बाबू देखते थे। बीते दिनों आपसी विवाद के चलते उनका तबादला बहेड़ी कर दिया गया। इनके स्थान पर बहेड़ी डीडी ऑफिस स्थानांतरित होकर आए जसवीर बाबू ने उनका पटल संभाल लिया है।
चर्चा यह भी है कि कृषि विभाग के डीडी ऑफिस में महत्वपूर्ण पटल संभालते ही जसवीर बाबू ने दफ्तर के पुराने बाबू से सांठगांठ करके नूप योजना में लगभग पौने पांच लाख से अधिक के पुराने बिलों को टीए की मदद से खोजना शुरू कर दिया है।
चर्चाओं के बीच दावा यह भी किया जा रहा है कि टीए ने विभाग के उच्च अधिकारी से अपने संबंधों को हवाला देकर कुछ पुराने बिल खोज भी लिए हैं। बाकी बिलों की तलाश भी जारी है।
कृषि विभाग में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है और कहा जा रहा है कि यह वही पुराने बिल हैं, जिनको तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह ने घपला होने की वजह से रिजेक्ट कर दिया था। तबसे यह बिल पेंडिंग में पड़े थे। आरोप है कि डीडी कार्यालय के नए बाबू और टीए उन दुकानदारों से संपर्क करके पुराने बिल काटकर ऊपरी कमाई करने के चक्कर में हैं, ताकि ज्वाइनिंग के बाद जेब में कुछ वजन बढ़े और माहौल में गर्मी आए। इसके लिए बाबू टीए से सेटिंग बनाकर अपने अफसर को भी समझाने में लगे हैं।
बाबू और टीए का मकसद है कि पुराने बिलों पर आसानी से दस्तखत हो जाएं। चर्चाओं के बीच जानकारी मिली है कि इस तरह की विभिन्न योजनाओं के पुराने बिल 4.5 लाख से पांच लाख के बीच में हैं। इसके लिए टीए ने ऑफिस में अपने पटल का मूल काम छोड़कर दुकानदारों से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है।
उधर, दफ्तर में लंबे समय तक तैनात रहे मजनू बाबू अब बहेड़ी जा चुके हैं। उनकी जगह पर आए बाबू आते ही पुराने बिल खोजने लगे।
अब देखने वाली बात यह है कि कृषि विभाग के अफसर अपने ऑफिस के बाबुओं के तर्कों के कितने संतुष्ट होकर पुराने बिलों पर स्वीकृति देते हैं या नहीं। इस पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।
हालांकि सच्चाई तो जांचोपरांत ही सामने आ सकती है। लेकिन, कहा जा रहा है इसके पहले हाल ही में एक कार्यवाहक डीडी ने पुराने बिल स्वीकृत करने की कोशिश की थी, तभी उनका शासन से चार्ज ही हट गया।
काट दिए थे फर्जी बिल, वापस हो गई थी सब्सिडी
आरोप यह भी है कि कृषि विभाग की नूप योजना में सरसों, मूंगफली जैसे तैलीय उत्पादन वाले अनाज की सब्सिडी किसानों को दी जानी थी। इनके प्रदर्शनी तहसील और ब्लॉक स्तर पर लगने थे। मगर, बाबुओं ने प्रदर्शनी में किसानों को बीज, लपेटा पाइप और अन्य सामग्री न देकर अपनी फर्मों के नाम से बिल काट दिए।
इस पूरे मामले पर तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह ने उन बिलों को रिजेक्ट कर दिया और सब्सिडी की धनराशि शासन को वापस कर दी। तबसे बाबू और टीए इस फिराक में हैं कि ये बिल किसी तरह से कट जाएं और उसकी धनराशि उनके पास आ जाए।
इसके चलते बीच में कुछ दिन अतिरिक्त चार्ज पर रहने वाली डीडी ने भी अपने दफ्तर के खास बाबू को इस काम पर लगाया था। मगर, उनका चार्ज इतनी जल्दी हटने से बाबुओं का खेल बिगड़ गया। अब नए डीडी के चार्ज संभालते ही वही खेल फिर से शुरू हो चुका है।
क्या बोले डिप्टी डायरेक्टर
मेरे पास कोई भी बिल स्वीकृति के लिए लाया जाता है तो मैं पहले उसका सत्यापन कराउंगा। उसके बाद ही बिल पास होगा। कोई बाबू फर्जी बिल पास नहीं करा पाएगा। मुझे किसानों के हित में काम करना है। यही सरकार की मंशा है। -अमरपाल, डिप्टी डायरेक्टर कृषि, बरेली