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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय में लंबे समय से कार्यरत एक मजनूं बाबू जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में ट्रांसफर होने के 41 दिन बाद भी रिलीव नहीं हुए। यह बाबू जी अपनी खास दोस्त को किसी हाल में अकेला नहीं छोड़ना चाहते। उनकी दोस्त भी बाबू जी के बिना अकेले नहीं रह सकती। अब बाबू जी की इस मजबूरी को देखते हुए विभागीय अधिकारी भी इन पर मेहरबानी बनाए हुए हैं। तमाम शासनादेश आने के बाद भी इनको नए कार्यालय के लिए रिलीव न करके नियम विरुद्ध पुराने दफ्तर से ही वेतन जारी कर रहे हैं।
समोसे और गोलगप्पे के शौकीन हैं बाबू जी
कृषि विभाग के इन बाबू जी पर अपने दफ्तर के काम अलावा एक काम और भी है। वह यह है कि बाबू जी अपनी सहकर्मी दोस्त को प्रतिदिन उसके हवाई अड्डे स्थित कॉलोनी वाले घर से लाकर शाम को घर तक छोड़ते हैं। कभी-कभी शाम को बाबू जी अपनी सहकर्मी दोस्त के साथ गोलगप्पे और समोसे भी खाते हैं। हालांकि रंगीन मिजाज बाबू जी की पत्नी भोजीपुरा के परिषदीय स्कूल में टीचर हैं। वह बेचारी किराए की वैन से अकेले ही अपनी ड्यूटी करने जाती हैं, जबकि बाबू की कार केवल अपने ऑफिस की दोस्त को घर से लाने और फिर शाम को घर तक छोड़ने के लिए है। सरकारी ड्यूटी का काम भले ही बाबू जी से ठीक तरह से हो या न हो। लेकिन, अपनी ऑफिस की दोस्त को घर से प्रतिदिन अपनी कार से टाइम पर दफ्तर लाना और फिर शाम को टाइम से उसके घर तक छोड़ना उनकी नियमित दिन चर्चा में शामिल है। दुनिया का कोई भी काम छूट जाए। लेकिन ये काम छूटना असंभव है। बाबू जी के इस काम की चर्चा ऑफिस स्टाफ के बीच में सबसे ज्यादा है।
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बीते कई महीने से न केवल अपने विभाग बल्कि अन्य सरकारी दफ्तरों में स्टाफ के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। नैनीताल रोड के बिलवा गांव में स्थित इस दफ्तर में कार्यरत मजनूं बाबू के किस्से- कहानियां अनगिनत हैं। मजनूं बाबू के पटल पर कृषि विभाग की ऊपरी कमाई वाली कई बेहतरीन योजनाएं हैं। उनमें लाखों रुपए की ऊपरी कमाई प्रति महीने है। मगर, बाबू जी का इतने से काम नहीं चल पाता। खर्चे बहुत हैं। इसलिए वर्ष 2021-22 में बाबू जी ने शासन से किसान कल्याण मेले के लिए मिलने वाली करोड़ों रुपए की धनराशि सही जगह न खर्चकर अपने निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली। इतना ही नहीं, बाबू जी ने अपने पटल से सरकार की यह धनराशि कार्यवाहक डीडी कृषि, पीपीओ, जिला योजना सलाहकार, 15 गोदाम इंचार्ज, ऑफिस के बाबू और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। उसकी जांच तत्कालीन मनरेगा समन्वयक गंगाराम ने की थी। उस जांच में इनके समेत कई लोग दोषी पाए गए। तत्कालीन सीडीओ जगप्रवेश ने जिला कृषि अधिकारी समेत पटल सहायक के रुप में इन बाबू जी के निलंबन की कार्रवाई की संस्तुति कृषि निदेशालय में की थी। मगर, बाबू जी की इतनी तगड़ी सेटिंग। लखनऊ कृषि निदेशालय में सांठ-गांठ करके कार्रवाई की फाइल दबा दी। मगर, बाद में घोटाले का जिन्न दोबारा खुला तो अब इस मामले में शासन स्तर पर नई जांच कमेटी बन चुकी है। वह कमेटी जल्द ही इस मामले की बरेली आकर दोबारा जांच करेगी।
ट्रांसफर होने के 41 दिन बाद भी रिलीव नहीं
सूत्रों के अनुसार मजनूं बाबू का ट्रांसफर 16 जून को जिला कृषि अधिकारी कार्यालय विकास भवन में हो चुका है। मगर, विभागीय अफसरों की इन पर इतनी मेहरबानी है कि लगभग डेढ़ महीने बाद भी यह बाबू जी अपनी नई जगह रिलीव नहीं हुए हैं। 15 जून को अपर निदेशक प्रशासन टीएम त्रिपाठी ने कृषि विभाग में स्थानांतरण आदेश जारी किया था। उसमें कहा गया था कि जिन बाबू या अधिकारियों के स्थानांतरण हो चुके हैं, उनको तत्काल मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से कार्यमुक्त करके नए स्थान पर ज्वाइन कराना सुनिश्चित करें। स्थानांतरित कर्मियों का जुलाई महीने का वेतन नए कार्यस्थल से ही निकलेगा। मगर, डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के मजनूं बाबू पर ये सब नियम लागू नहीं होते। उनको शासन के इन नियमों से अलग रखा गया है। यह जब तक मन नहीं होगा, तब तक न तो नए कार्यस्थल पर ज्वाइन करेंगे। इनका वेतन भी पुराने कार्यस्थल से ही निकलेगा।