/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/23/whatsapp-image-2025-08-23-07-34-08.jpeg)
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बरेली, जहां लखनऊ की जांच टीम घोटाले से जुड़े अभिलेख खंगाल रही है।
बरेली, वाईबीएन संवाददाता।
कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के घोटाले की जांच करने के लिए लखनऊ से एक बार विभागीय टीम फिर से जांच करने पहुंची है। शासन के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने एडीशनल डायरेक्टर डॉक्टर टीएम त्रिपाठी की अगुवाई में बहेड़ी, नवाबगंज क्षेत्र के तमाम गांवों का भ्रमण करके विभिन्न सरकारी योजनाओं में लाभान्वित किसानों से बातचीत की। इतना ही नहीं, जांच टीम ने विभागीय बाबुओं से जय मां जगदंबा, जय हनुमान, महावीर ट्रेडर्स समेत अन्य फर्मों को विभिन्न योजनाओं में भुगतान की धनराशि के बिल वसूले। जांच टीम को घोटाले से संबंधित तमाम रिकार्ड अभी भी नहीं मिले हैं। हालांकि भूमि संरक्षण विभाग की एक महिला अफसर जांच टीम को उन स्थानों पर ही लेकर पहुंच रही हैं, जहां पर सब कुछ ठीक करा लिया गया है। इस घपले में बरेली के डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह और पूर्व बीएसए संजय सिंह को निलंबित किया जा चुका है।
सूत्रों के अनुसार शासन के निर्देश पर कृषि निदेशालय की तरफ से एडीशनल डायरेक्टर डॉ टीएम त्रिपाठी के नेतृत्व में गठित सदस्यीय विभागीय जांच टीम को घोटाले से संबंधित तमाम अहम अभिलेख हाथ लगे हैं। मगर, किसान कल्याण समेत अन्य योजनाओं में फर्जी बिल काटकर कीटनाशक बाबू के रिश्तेदार की फर्म जय हनुमान, मां जगदंबा, महावीर ट्रेडर्स के बैंक खाते में बीते कई साल से करोड़ों की धनराशि ट्रांसफर हो चुकी है। इन फर्मों का जीएसटी भुगतान भी नहीं करके सरकार से राजस्व की चोरी की गई है। फिलहाल, जांच टीम ने बिथरी ब्लॉक के गांव सिमरा बोरीपुर, सिली जागीर, चुबाकिया, रामपुर मुरादपुर, संजारपुर, बघरऊ, ढकिया बरकली साहिब, मियांपुर, अहिरोला, ठिरिया अतरछेड़ी मझगवां ब्लॉक के अलहिया आदि गांवों का भ्रमण करके उन किसानों से बातचीत की। जिन्होंने वर्ष 2021-22 में कस्टम हायर की स्कीम की सब्सिडी प्राप्त की थी। इनमें तमाम किसानों के पास कृषि यंत्र मौके पर मौजूद नहीं मिले।
बाबुओं ने फिर छुपाए किसान कल्याण प्रशिक्षण के बिल बाउचर
सूत्रों का कहना है कि तीन सदस्यीय विभागीय जांच टीम ने वर्ष 2017 से 2023 तक किसान पाठशाला में कराए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के बिल बाउचर गिरीशचंद्र उर्फ पहाड़ी बाबू से मांगे तो पहाड़ी बाबू ने बमुश्किल से आधे-अधूरे बिल बाउचर उपलब्ध कराए। किसान पाठशाला के प्रशिक्षण की तमाम रकम तत्कालीन कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी, कृषि रक्षा अधिकारी अर्चना प्रकाश वर्मा, तत्कालीन जिला योजना सलाहकार अमित कुमार संधू, पटल सहायक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, गोदाम प्रभारियों के निजी बैंक खातों में ट्रांसफर करने में अहम भूमिका निभाकर बड़ा घोटाला करने वाले बाबू प्रखर सक्सेना और कृषि यंत्रों में करोड़ों रुपए का घपला करके नवाबगंज के एक गांव में ही 18 कृषि यंत्र बांटने वाले घपलेबाज पूर्व बाबू शिवकुमार उर्फ बुलट राजा के घपलों के बारे में भी जांच टीम को अहम जानकारी मिली है। डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय में पटल सहायक गिरिशचंद्र ने घोटाला करके बरेली में नैनीताल रोड स्थित एरो सिटी में और करोड़ों के घोटाले में फंसे पूर्व पटल सहायक शिवकुमार उर्फ बुलट राजा ने मेरठ की वीवीआईपी कॉलोनी सुशांत सिटी में पांच करोड़ से ज्यादा की आलीशान कोठियां बनाई हैं। फिलहाल, कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के बाबुओं ने जांच टीम से घोटालों से जुड़े तमाम अभिलेख फिर से छुपाने की पूरी कोशिश की। बिल-बाउचर न देने के लिए कार्यालय में आग लगने समेत अन्य तमाम बहाने भी बनाए गए। सूत्रों की मानें तो जांच टीम को घोटालेबाजों ने मैनेज करने की भी पूरी कोशिश की। इसका परिणाम यह निकला कि जांच टीम उन स्थानों पर ही जांच करने गई, जहां बाबुओं और डीडी एससी ने चाहा। मगर, इतना करने के बाद में भी जांच टीम को तमाम खामियां मिल गईं। जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट पहले डायरेक्टर कृषि पंकज त्रिपाठी और प्रमुख सचिव रविंद्र कुमार को सौंपेगी। सीडीपी योजना को लागू करने में भारी घपला पाया गया है।
पूर्व भाजपा विधायक ने की थी शिकायत
कृषि और भूमि संरक्षण विभाग में 22 करोड़ के प्रोजेक्ट में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा के घपले की शिकायत पूर्व भाजपा विधायक राजेश कुमार मिश्रा पप्पू भरतौल ने शासन में की थी। उसके बाद प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन में की थी। उसके बाद इस मामले की जांच डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह ने की थी। उस जांच में उन्होंने पूर्व बीएसए संजय सिंह समेत कई अन्य बाबुओं को साफ तौर से बचाते हुए क्लीनचिट दे दी थी। उसके बाद मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के आदेश पर टीएसी जांच कराई। उसमें ही तमाम कमियां सामने आई थीं। उसी आधार पर डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह और पूर्व बीएसए संजय सिंह को शासन ने निलंबित किया था।