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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
प्राकृतिक खेती, टेंडर प्रक्रिया और रिजेक्टेड बिल से ऊपरी कमाई के लालच में डिप्टी डायरेक्टर ने अपने ही स्टाफ के साथ खोला मोर्चा...
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
आपने शोले फिल्म में कॉमेडियन असरानी का वो डायलॉग जरूर सुना होगा। जिसमें वह कहते हैं कि मैं अंग्रेजों के जमाने का जेलर हूं... हा, हा। मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता नहीं हिलता... हा हा। हम जानते हैं कि तुम कभी नहीं सुधरोगे..हा, हा। जब हम नहीं सुधरे तो तुम कहां से सुधरोगे.. हा हा। कुछ ऐसे ही अंग्रेजों के जमाने के एक डिप्टी जेलर कृषि विभाग में अतिरिक्त चार्ज पर हैं। जबसे उनको कृषि विभाग में अतिरिक्त चार्ज मिला है, तबसे वह अपने स्टाफ के सामने शोले फिल्म के यही डायलॉग अपने बोलते हैं। उनका पहला डॉयलॉग यह होता है कि देखो भई, मैं अंग्रेजों के जमाने का डिप्टी जेलर हूं... हा, हा। जो भी मेरा आदेश नहीं मानेगा, उसको एक मिनट में ठीक कर दूंगा... हा, हा। कृषि विभाग में डिप्टी जेलर के कारनामों से तंग आकर उनके स्टाफ ने अपने साहब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
आंवला के एडीओ कृषि ने उन पर प्राकृतिक खेती के फर्जीवाड़े में सब्सिडी भेजने के बदले 20% कमीशन देने का दबाव बनाने समेत भ्रष्टाच्माार के तमाम गंभीर आरोप लगाए। कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ मुनेंद्र कुमार सैनी ने खुलकर मीडिया के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने यंग भारत न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि आंवला और मीरगंज में प्राकृतिक खेती के लिए फर्जी किसानों का चयन करके 87 लाख रुपए ठिकाने लगाने की रूपरेखा बन चुकी है। चयनित किसानों ने एक इंच जमीन पर कभी प्राकृतिक खेती नहीं की। 87 लाख के इस प्रोजेक्ट में कृषि विभाग की तरफ से 2650 किसानों को यूरिया, डीएपी और कीटनाशक का इस्तेमाल न करके प्राकृतिक तरीके से रसायन खादों से मुक्त खेती करनी थी। कृषि विभाग से उनको प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण मिलना था। लेकिन, दोनों तहसीलों में एक इंच जमीन पर प्राकृतिक खेती नहीं हुई। अंग्रेजों के जमाने में डिप्टी जेलर रह चुके कृषि विभाग के इन साहब ने ब्लॉक के गोदाम प्रभारियों के जरिए सामान्य खेती करने वालों को ही प्राकृतिक खेती करने वाला किसान दर्शाकर फर्जी सूची फीड करवा दी। अब वह किसानों की सब्सिडी की आधी रकम नगद लेकर किसानों के बैंक खातों में भेजने की रूपरेखा बनाने में लगे हैं। एडीओ कृषि के अनुसार उन पर साहब ने फर्जी किसानों को मिलने वाली सब्सिडी की आधी और बाकी बजट में 20% कमीशन देने का दबाव बनाया। जब उन्होंने ये बात मानने से इनकार कर दिया तो साहब ने कार्रवाई करने की जल्दबाजी में गलत आदेश टाइप करके उनको रामनगर ब्लॉक से अटैच कर दिया, जबकि उनकी मूल तैनाती मझगवां ब्लॉक में है। वह आंवला तहसील अतिरिक्त चार्ज पर हैं। विषय वस्तु विशेषज्ञ का कहना है कि साहब ने उनका चार्ज अपने सजातीय एडीओ सुनील कुमार को दिया है। नए एडीओ ने भी यह कहकर चार्ज लेने से मना कर दिया कि वह भी किसानों की सब्सिडी पर आधी रकम नहीं दे सकते। न ही प्राकृतिक खेती के बजट के घोटाले में शामिल होंगे। फिलहाल, एडीओ कृषि ने जिस तरह से अपने ही अधिकारी के भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। उससे कृषि विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। बरेली से लेकर लखनऊ तक खलबली मच गई है।
कर्मचारी यूनियन अपने ही अफसर के विरुद्ध करेगी धरना प्रदर्शन
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय की कर्मचारी यूनियन का कहना है कि वह जल्द ही अपने ही विभाग के अधिकारी के भ्रष्टाचार के खिलाफ ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि उनके अधिकारी मेरठ में अपना आलीशान मकान कंप्लीट कराने के लिए कर्मचारियों से प्रत्येक कृषि योजना में 20% कमीशन एडवांस मांग रहे हैं। ये किसानों के साथ धोखाधड़ी है। न किसानों की सब्सिडी वह खुद खाएंगे, न ही साहब को खाने देंगे। एडीओ कृषि ने कहा कि जबसे नए डीडी ने चार्ज संभाला है। तबसे स्टॉफ में भारी नाराजगी है। साहब, अपने बहुत नजदीकी और खास टीए के अलावा कुछ चुनिंदा कर्मचारियों से ही काम लेते हैं। बाकी कर्मचारियों को तहसील और ब्लॉक में भेज दिया है। उनके साथ कोई भी कर्मचारी काम करने को तैयार नहीं है। इसके चलते सीएम डैशबोर्ड पर बरेली की रैंकिंग बहुत नीचे गिर गई है। हालात यह हैं कि डीडी ऑफिस में कभी भी अफसर और कर्मचारियों के बीच में मारपीट हो सकती है। कृषि गोदामों से गेहूं, सरसों, राई समेत रबी फसलों के बीज की कालाबाजारी कृषि बीज गोदाम से गेहूं सरसों राय समेत रवि सीजन के अन्य बीजों की कालाबाजारी हो रही है। रामनगर, आंवला, मझगवां और आलमपुर जाफराबाद के गोदाम प्रभारी ने 936 रुपए प्रति बैग के बीज को 1150 रुपए प्रति बैग तक वसूली की है। रामनगर गोदाम इंचार्ज यज्ञदत्त शर्मा ने समस्त गोदाम प्रभारियों को रवि सीजन के बीज की कालाबाजारी के बदले में साहब को मात्र ₹20 हजार रुपए देने हैं। एडीओ कृषि का कहना है कि वह भ्रष्टाचार और घपले करके नौकरी नहीं करना चाहते। साहब की ऊपरी कमाई के लिए वह किसी भी किसान से वसूली नहीं कर सकते। इसीलिए, उनको शारीरिक, मानसिक तौर आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
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