/young-bharat-news/media/media_files/2025/10/04/whatsapp-image-2025-10-04-23-55-45.jpeg)
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय का दफ्तर नैनीताल रोड बरेली
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय में बीते तीन महीने में भ्रष्टाचार के मामले पर तगड़ी कार्रवाई हो चुकी है। इसमें तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर को निलंबित किया गया था। एक अन्य डिप्टी डायरेक्टर से 15 दिन में चार्ज हट गया। तमाम बाबू इधर से उधर से हो गए। मगर, इसके बावजूद ऊपरी कमाई की आदत न तो अफसर की छूट रही है, न ही बाबुओं की। कुछ दिन पहले एक अफसर की शह पर उनके क्षेत्र के बाबू और टीए ने पुराने पौने पांच लाख के वह बिल स्वीकृत कराकर गोलमाल करने की कोशिश की, जिनको पूर्व डिप्टी डायरेक्टर रिजेक्ट कर गए थे। खैर, जब मामला खुला तो वह बिल स्वीकृत नहीं हो पाए। मगर, अब दिवाली से पहले ऊपरी कमाई करने के मकसद से उस बाबू और टीए को मलाईदार पटल पर लगा दिया गया, जो पहले भी साथ में काम कर चुके हैं। वह अलग बात है कि मलाईदार पटल हासिल करने वाले बाबू और टीए को उस पटल का काम नहीं आता। फिलहाल, कृषि विभाग में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और नेशनल ऑयल सीड एवं एडविन ऑयल पार्म नूप योजना तकनीकी सहायक ने संभाल रखी है। इन तकनीकी सहायक ने हाल ही में पौने पांच लाख के पुराने बिल पास कराकर गोलमाल करने की कोशिश शुरू कर दी थी, जबकि यह बिल पुराने डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह रिजेक्ट कर गए थे क्योंकि इस योजना के कलस्टर प्रदर्शन जमीनी स्तर पर न लगाकर सिर्फ कागजों में ही लगे दिखाए गए थे। खैर, यह मामला तो ठंडे बस्ते में चला गया। मगर, अभी मेरठ से तबादला होकर बरेली आए एक बाबू को मिलेट्स योजना का मलाईदार पटल गया। यह पटल इसलिए नहीं मिला कि बाबूजी बहुत योग्य हैं। यह पटल इसलिए मिला क्योंकि वह साहब के साथ पहले भी पश्चिमी यूपी में काम कर चुके हैं। बाबू जी को पटल का काम नहीं आता। मगर, इसमें ऊपरी कमाई इतनी है कि साहब को दूसरे बाबू पर विश्वास नहीं। एक तकनीकी सहायक भी साहब के खास हैं। वह अपना मूल काम छोड़कर खाद-बीज की दुकानों पर ही चक्कर लगाकर पुराने बिलों की डिटेल जानने में लगे हैं। ताकि उनको दिवाली से पहले कैश कराया जा सके। खैर, शामली के तकनीकी सहायक और मेरठ के बाबू पर साहब की मेहरबानी इसलिए बनी हुई है क्योंकि दोनों उनके अपने क्षेत्र के हैं। पहले भी साथ काम कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों पटल मिलते ही ऊपरी कमाई के रास्ते तलाशने में जुट गए हैं क्योंकि उनको संकेत मिला है कि दिवाली से पहले किसी भी तरह से मोटी ऊपरी कमाई करके देनी है। ऑफिस के स्टॉफ के बीच इन बातों को लेकर काना-फूसी तेज हो चुकी है।
साहब बोले कनिष्ठ सहायक पिट गए, बाबू बोले- नहीं पिटे
साहब ने कुछ दिन पहले तकनीकी सहायक ग्रुप टू कार्यालय उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी फरीदपुर शिवनंदन सिंह काे इस आरोप में आलमपुर जाफराबाद ब्लॉक में एडीओ एग्रीकल्चर के पद पर भेजा गया कि उन्होंने डीडी ऑफिस के कनिष्ठ सहायक को पीट दिया था। जबकि कनिष्ठ सहायक खुद साहब को लिखकर दे चुके हैं कि उनके साथ किसी तरह की कोई मारपीट किसी ने नहीं की। अब हकीकत क्या है? यह तो कनिष्ठ सहायक जानें या फिर साहब। मगर, साहब ने फरीदपुर से एडीओ एग्रीकल्चर कार्यालय का ग्रुप टू का तबादला इसी आरोप में किया है। इनके स्थान पर आलमपुर जाफराबाद के कार्यालय उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी तकनीकी सहायक अनुज कुमार को इसी पद पर फरीदपुर भेजा है। कृषि विभाग के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार इस आपसी तबादले में पटल सहायक और उनके बॉस की 25 हजार रुपये की ऊपरी कमाई हुई। सूत्रों का कहना है कि जब बाबू ने खुद लिखकर दे दिया कि उसके साथ किसी तरह की मारपीट नहीं की गई जबकि साहब उस वक्त ऑफिस में ही मौजूद थे। दूसरी बात यह कि अगर ऑफिस के किसी बाबू के साथ तकनीकी सहायक ने मारपीट कर दी तो साहब ने उसकी विभागीय जांच क्यों नहीं कराई गई। उस मारपीट की संबंधित थाने में एफआईआर क्यों नहीं हुई। जब दोनों ही बातें नहीं हुईं तो तबादला आदेश में मारपीट की बात कैसे लिख दी गई। अगर इस मामले की जांच हुई तो साहब और पटल सहायक दोनों फसेंगे क्योंकि यह सब मामला सीसीटीवी में कैद है। फिलहाल, डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय के यह मामले इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं।