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डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय बिलवा नैनीताल रोड बरेली
बरेली, वाईबीएन संवाददाता।
कृषि विभाग में 20 करोड़ से ज्यादा धनराशि के घोटाले की जांच अभी चल ही रही है। हाल ही में लखनऊ से आई जांच टीम डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय से आधे-अधूरे अभिलेख लेकर वापस लौट चुकी है। घोटाले में निलंबित डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह लखनऊ मुख्यालय से अटैच हो चुके हैं। दो दशक से भी लंबे समय तक इस कार्यालय में जुगाड़-तिगाड़ के बल जमे घपलेबाज पहाड़ी बाबू ने रविवार को इसमें नया खेल कर दिया। पहाड़ी बाबू ने कार्यालय के स्टॉफ की गोपनीय मीटिंग बुलाकर कहा-जांच में हम सब फंसने वाले हैं। इसलिए सब लोग मिलकर 50-50 हजार रुपए इकट्ठा कर लो। बात हो गई है। कुल मिलाकर लखनऊ की जांच टीम को 50 लाख रुपए देने हैं। तभी कुछ राहत मिल पाएगी। हालांकि कर्मचारियों और गोदाम प्रभारियों ने यह कहकर 50 हजार रुपए देने से मना कर दिया कि जांच में तुम (पहाड़ी बाबू) फंस रहे हो। हम 50 हजार क्यों इकट्ठा करें। तुम चाहे जांच टीम को 50 लाख रुपए दो या एक करोड़। वह सब एक भी पैसा इकट्ठा नहीं करेंगे। इस गोपनीय मीटिंग को कार्यालय के सीसीटीवी में भी देखा जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार रविवार को डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा में कार्यरत महाघपलेबाज पहाड़ी बाबू की तरफ से विभागीय कर्मचारियों और गोदाम प्रभारियों को व्हाट्सएप के माध्यम से मैसेज भेजा गया कि फौरन चले आओ। बहुत जरूरी गोपनीय मीटिंग है। जब व्हाट्सएप मैसेज पढ़कर कर्मचारी मीटिंग में पहुंचे तो सबने पहाड़ी बाबू से पूछा कि मीटिंग कौन लेगा। क्योंकि अभी नई डिप्टी डायरेक्टर ने तो ज्वाइन ही नहीं किया है। तब पहाड़ी बाबू बोले- यह मीटिंग खास मकसद से बुलाई गई है। लखनऊ से कृषि विभाग के घपले की तीन सदस्यीय टीम जांच कर रही है। उस जांच में आप भी फंस रहे हो और हम भी। इसलिए, हम सब मिलकर जांच टीम को मैनेज करेंगे। उसके लिए 50 लाख रुपए में बात हो गई है। इसलिए, सबको मिलकर 50-50 हजार रुपए दो से तीन दिन के अंदर इकट्ठा करने हैं। तभी सब लोग बच पाओगे। अन्यथा नौकरी तो जाएगी ही। जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। पहाड़ी बाबू के मुंह से यह वचन सुनते ही कर्मचारी बिफर गए। बोले- जांच में आप फंस रहे हो। तो जांच टीम को आप खुद मैनेज करो। क्योंकि माल भी आपने ही कमाया है पिछले बीस साल में। वह क्यों 50 हजार रुपए इकट्ठा करें। फिलहाल, कोई भी पैसा नहीं देगा। इसके बाद गोपनीय मीटिंग खत्म हो गई।
नई प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर से घपलेबाजों को मदद की पूरी उम्मीद
डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय में 22 साल से भी लंबे समय तक कार्यरत पहाड़ी बाबू ने हमेशा मलाईदार पटल देखा। उसमें हर साल करोड़ों रुपए की ऊपरी कमाई की। जब कभी इन बाबू जी का बाहर कहीं ट्रांसफर भी हो गया तो कृषि निदेशालय से जुगाड़ करके अपना ट्रांसफर रुकवा लाए। पिछले साल जब पहाड़ी बाबू का ट्रांसफर हुआ तो आधे-अधूरे तथ्य देकर न्यायालय से स्टे ले आए। कृषि विभाग के अधिकारियों ने ठीक से पैरवी नहीं की। उसका नतीजा यह निकला कि अब तक इनका स्टे चल रहा है। हाल ही में कृषि विभाग के घपलों में दोषी कर्मचारी और अधिकारियों पर कार्रवाई न करने का दोषी मानते हुए डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह को शासन ने निलंबित कर दिया। नया प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर कृषि नीरजा सिंह को बनाया गया है, जो पहले से ही विवादों के घेरे में हैं। वह पिछली जांच में घोटालेबाज पूर्व कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह समेत अन्य बाबुओं को साफ तौर पर क्लीनचिट दे चुकी हैं। उनके डिप्टी डायरेक्टर कृषि का अतिरिक्त चार्ज मिलने पर घपलेबाज बाबू खुश हैं। इनको उम्मीद है कि नई प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर नीरजा सिंह आने वाले दिनों में भी सरकारी योजनाओं में घपला करने पर उनकी मदद उसी तरह करती रहेंगी, जिस तरह उन्होंने पहले मदद की थी।
जय हनुमान-मां जगदंबा और महावीर ट्रेडर्स फर्मों की चल रही जांच
शासन के आदेश पर एक विभागीय बाबू के रिश्तेदार की फर्म जय हनुमान, मां जगदंबा, महावीर ट्रेडर्स, जय विष्णु नामक फर्मों की जांच भी चल रही है। सूत्रों के अनुसार स्थानीय स्तर पर एक बड़े अधिकारी इन फर्मों का जीएसटी स्टेटस पता लगाने में जुटे हैं। वहीं लखनऊ की जांच टीम हाल ही में दो दिन बरेली में रुककर विवादित फर्मों के नाम से कटे आधे-अधूरे बिल निकलवाकर ले गई है। इन फर्मों के अधिकांश बिल पहाड़ी बाबू और बागपत ट्रांसफर हो चुके बाबू बुलट राजा के कब्जे में हैं। यह बाबू जांच टीम को इन फर्मों के बिल नहीं देना चाहते हैं। इसलिए जांच टीम के सामने तरह-तरह के बहाने बनाने में लगे हैं। क्योंकि अगर इन फर्मों के पूरे बिल जांच टीम को मिल गए तो घपले की परत-दर-परत खुलती चली जाएगी। अगर बिल नहीं देंगे तो घोटाले का 100 प्रतिशत खुलासा नहीं हो पाएगा। पूरे बिल न देने का फायदा बाबुओं को यह है कि कोई भी विभागीय कार्रवाई होने की स्थिति में यह न्यायालय जाकर स्टे ले आएंगे।