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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
कृषि विभाग से किसानों को मुफ्त में मिलने वाला मक्के का बीज खुले बाजार में दुकानदारों कोे बेचने वाले बीज गोदाम प्रभारियों का मामला आजकल सुर्खियों में है। मक्के के संकर प्रजाति के बीज को अकेले किसी एक गोदाम प्रभारी ने ही खुले बाजार में नहीं बेचा। बल्कि सभी 11 गोदाम प्रभारियों ने जिला कृषि अधिकारी और डिप्टी डायरेक्टर कृषि के बाबू और अफसरों की सांठगांठ से पूरा 120 कुंतल बीज दुकानदारों को बेच दिया। इससे मिलने वाली ऊपरी रकम हजम कर गए। सरकार की तरफ से मक्के का यह बीज किसानों को फरवरी में मुफ्त में प्रदर्शनी लगाकर बांटने के लिए आया था। किसानों को फिलहाल मक्के के बीज का एक भी दाना नहीं मिला।
कृषि विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक चैट वायरल हो रही है। इसमें कहा गया है कि मझगवां कृषि बीज गोदाम प्रभारी सुनील कुमार और विषय वस्तु विशेषज्ञ आंवला अश्वनी कुमार मिलकर घपला करने में माहिर हैं। दोनों ने मिलकर संकर प्रजाति के मक्के का 20 कुंतल बीज आंवला क्षेत्र के किसानों को मुफ्त में न देकर उसे बदायूं के बिसौली बाजार में जाकर बेच दिया। वह रकम भी दोनों मिलकर खा गए। सूत्रों के अनुसार मक्के का पूरा बीज बिना पोश मशीन पर किसानों का अंगूठा लगवाए बिसौली के बाजार में दुकानदारों को 280 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा गया। किसानों के नाम की फर्जी मक्का बीज वितरण की जो सूची बीज गोदाम प्रभारी सुनील कुमार ने तैयार की। दुकानदारों को बेचने के मामले का खुलासा होते ही उस सूची को डीबीटी पोर्टल से हटा दिया गया। सूत्रों का कहना है कि मक्के के बीज की कालाबाजारी से होने वाली आमदनी का 40 प्रतिशत हिस्सा जिला कृषि अधिकारी कार्यालय और इतना ही डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय पहुंचाया गया। बाकी बचा माल गोदाम प्रभारी खुद खा गए। गोदाम पर रहने वाले बाकी कर्मचारियों को मक्के के बीज से होने वाली आमदनी में से जब कुछ नहीं मिला तो इन कर्मचारियों ने अपने क्षेत्र के किसानों से मिलकर शिकायत करानी शुरू कर दी। मझगवां, रामनगर और आंवला क्षेत्र के किसानों को मुफ्त में मिलने वाले मक्के के बीज और सरकारी किट की भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
ब्लॉकों में मक्के के बीज के साथ ही प्रगतिशील किसानों को मुफ्त में बांटने के लिए मिनी किट भी दी गई थी। उस मिनी किट में सरसों, उड़द, मूंग, तिल, ज्वार, बाजरा आदि के बीज थे। उसको भी बीज गोदाम प्रभारी खुले मार्केट में बेचकर खा गए। सूत्रों का कहना है कि गोदाम इंचार्ज ने क्षेत्र के विधायक और मंत्री के साथ उनके खास दो-चार किसानों को मिनी किट देकर अपने फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डाल दिए। ताकि यह लगे कि कृषि विभाग में सब काम ईमानदारी से चल रहा है। किसान को इस सरकारी योजना से कोई फायदा नहीं मिला। न ही कोई प्रदर्शन लगा। मझगवां गोदाम के बाकी कर्मचारियों को ऊपरी आमदनी का एक भी पैसा हाथ में नहीं आया तो वह लड़ाई-झगड़े पर उतारू हो गए। हालांकि खेल में कृषि विभाग के अफसरों के खुद शामिल होने से सब मामला गोपनीय तरीके से निपट गया। दुकानदारों को बेचकर होने वाली आमदनी का मोटा हिस्सा कृषि विभाग के बाबुओं और अफसरों को भी पहुंच गया।
भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों की ओर से जिलाधिकारी अविनाश सिंह को पत्र लिखकर बताया गया कि कृषि विभाग में मक्का का बीज खुले बाजार में बेच दिया गया। यह किसानों को मुफ्त में बंटना था। मक्के के बीज के साथ ही प्रदर्शनी लगाकर किसानों को बांटने के लिए आठ किलो की मिनी किट भी आई थी। उस मिनी किट में सरसों, ज्वार, बाजरा, मूंग, मसूर, उड़द और तिल के बीज थे। मिनी किट की कीमत हजार रुपए थी। प्रत्येक गोदाम पर 100 मिनी किट भेजी गई थीं। दो-चार मिनी किट क्षेत्र के विधायक और मंत्री के साथ फोटो खिंचाकर बाकी की मिनी किट दुकानदारों को बेचकर कृषि विभाग के अफसर और बाबुओं ने मोटी कमाई कर ली। हालांकि इस मामले में जब मझगवां कृषि बीज गोदाम प्रभारी सुनील कुमार से उनके मोबाइल नंबर 8433245107 पर बात करके हकीकत जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।