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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
प्रोत्साहन राशि के रुप में किसानों के खाते में भेजनी है 52.50 लाख की धनराशि, 20% एडवांस कमीशन मांगने पर मचा है बवाल
वाईबीएन संवाददाता बरेली
प्राकृतिक और जैविक खेती के नाम पर कृषि विभाग में 87 लाख रुपए से ज्यादा का सरकारी बजट ठिकाने लगाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। कृषि विभाग की सूची में जिन किसानों को कीटनाशक और रसायन यूरिया से मुक्त प्राकृतिक और जैविक खेती करना दर्शाया गया है। उनमें अधिकांश किसानों के पास जमीन ही नहीं है। कुछ किसानों के पास जमीन एक दो बीघे है भी, तो उन्होंने प्राकृतिक खेती करके फसल नहीं उगाई। ये किसान अभी भी कीटनाशक और रसायनिक खाद से ही परंपरागत खेती करके अपनी जीविका चला रहे हैं। कृषि विभाग के कलस्टरों में इन किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी गई है। अब 2650 किसानों का फर्जी आंकड़ा दर्शाकर 87 लाख रुपए को कृषि विभाग के बाबू और अफसर उसे हड़पने की तैयारी में लगे हैं। इसी बजट के बंदरबांट पर नीचे से ऊपर तक बवाल मचा हुआ है।
कृषि विभाग की नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फॉर्मिंग योजना के तहत आंवला और मीरगंज में 2650 किसानों का चयन किया गया था। इसमें मीरगंज में 9 और आंवला में 12 क्लस्टर बनाए गए थे। प्रत्येक क्लस्टर में 125 किसान हैं। एक क्लस्टर में दो महिला किसान है। पुरुष किसानों के खाते में 2000 और महिला किसानों के खाते में 5000 रुपए प्रति कैंडिडेट के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भेजी जानी है। महिला किसानों को कृषक सखी कहा जाता है। कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक विभागीय डेटा में दोनों तहसीलों मीरगंज और आंवला में कुल 2650 एकड़ जमीन में गाय के गोबर और जैविक संसाधनों से खेती करना दर्शाया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि किसी भी किसान ने प्राकृतिक खेती नहीं की। न ही कृषि विभाग की सूची में चयनित महिला कृषक सखियों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग भी नहीं दी गई। चयनित किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी ही नहीं है। इस पूरी योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा है। विभागीय अफसर अपने कर्मचारियों से प्राकृतिक खेती के अनुदान में फर्जी भुगतान के बिल स्वीकृत करने का 20% कमीशन एडवांस मांग रहे हैं ।
किसानों की सब्सिडी खाते में भेजने से पहले 50% रकम पहले वसूल करने पर छिड़ा है घमासान
सूत्रों के अनुसार आंवला और मीरगंज तहसीलों के सात कृषि गोदाम प्रभारियो ने प्राकृतिक खेती में फर्जीवाड़ा करके 87 लाख का सरकारी बजट ठिकाने लगाने की रूपरेखा कृषि विभाग के अफसरों के साथ मिलकर कई महीने पहले ही तैयार की थी। इससे होने वाली ऊपरी कमाई में सबका हिस्सा पहले से ही तय कर दिया गया था। बीच में डिप्टी डायरेक्टर बदल गए। इसलिए, ऊपरी आमदनी के हिस्सा बंटवारे में दिक्कत आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक एक विभागीय अधिकारी का मेरठ की पाश कॉलोनी में कई बरसों से आलीशान मकान बन रहा है। इस मकान की लागत 10 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। उन अफसर के पास मकान बनाने का बजट कम पड़ गया है। पहले उनके पास एक ही चार्ज था। फिर उनको कृषि विभाग का अतिरिक्त चार्ज मिल गया। अब यह अपनी ऊपरी कमाई दो से तीन गुनी तक बढ़ाने में लगे हैं। इसके चलते इन्होंने अतिरिक्त चार्ज मिलते ही सबसे पहले अपना ध्यान ऊपरी कमाई बढ़ाने पर केंद्रित किया। वह प्राकृतिक खेती के अनुदान, सब्सिडी के पुराने फर्जी बिल, जो तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर गड़बड़ी होने से रिजेक्ट कर गए थे, पास करने और कृषि विभाग के टेंडर अपने खास ठेकेदार को दिलाकर एक करोड़ की ऊपरी कमाई तुरंत करना चाहते हैं। इसीलिए, उनमें और विभागीय कर्मचारियों के बीच घमासान मचा है।
सीएम डैशबोर्ड में कृषि विभाग की रैंकिंग 25 वें नंबर तक गिरने पर डीएम ने लगाई थी फटकार
पिछले महीने सीएम डैशबोर्ड पर बरेली की रैंकिंग प्रथम स्थान पर थी। मगर कृषि विभाग के बड़े अफसर ने अपना ध्यान विभागीय कामों पर केंद्रित न करके सिर्फ ऊपरी कमाई पर फोकस रखा। उसका रिजल्ट यह निकला कि कृषि विभाग की समस्त योजनाओं की प्रगति में बरेली की रैंकिंग 25 वें नंबर पर पहुंच चुकी है। इसके चलते डीएम अविनाश सिंह ने इन अफसर को बुलाकर कड़ी फटकार लगाई थी। डीएम ने कहा था कि अगर कृषि विभाग के काम का यही हाल रहा तो बरेली में कृषि विभाग आखिरी पायदान पर आ सकता है। ऐसी स्थिति में वह शासन को पत्र लिखकर कृषि विभाग के अफसर पर कार्रवाई करेंगे। इसी सिलसिले में मोटी ऊपरी कमाई करने वाले अफसर का दो महीने से वेतन भी रुका हुआ है। हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि कृषि विभाग के इन अफसर की ऊपरी कमाई इतनी ज्यादा है कि उनको वेतन की जरूरत ही नहीं है।
वर्जन
मेरे पास अभी यह मामला संज्ञान में नहीं आया है। जब भी इस तरह की चीजें संज्ञान में आएंगी तो पूरे मामले की जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डीवी सिंह, जॉइंट डायरेक्टर कृषि विभाग, बरेली मंडल बरेली
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