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कृषि विभाग : लखनऊ की सांठगांठ से अफसर और बाबुओं पर ट्रांसफर सीजन भी बेअसर...

वैसे तो कृषि विभाग में 15 मई से ट्रांसफर सीजन शुरू हो चुका है। मगर, लखनऊ कृषि निदेशालय से तगड़ी सांठगांठ के चलते बरेली के अफसर और बाबुओं पर इसका कोई असर नहीं है।

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Sanjay Shrivastav
ट्रांसफर हुए बाबुओं को रिलीव करने का आदेश

ट्रांसफर हुए बाबुओं की रिलीव करने का आदेश

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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यूं तो कृषि निदेशालय में बाबू और अफसरों का ट्रांसफर सीजन 15 मई से ही शुरू हो चुका है। यह 30 जून तक चलेगा। मगर, कृषि विभाग के किसी भी अफसर या बाबू का एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर अपनी मर्जी से ही हो सकेगा। यहां तक कि पिछले साल ट्रांसफर हो चुके बाबू भी जब तक चाहेंगे, पुराने पटल पर ही नौकरी करते रहेंगे। जब उनकी मर्जी होगी, तभी उनको रिलीव किया जाएगा। अफसरों को ऊपरी कमाई पहुंचाने वाले बाबूओं के सिफारिशी पत्र भी शासन तक पहुंच चुके हैं कि फलां बाबू की ऑफिस में बहुत जरूरत है। कोई नया बाबू आएगा तो वह ठीक से काम नहीं कर पाएगा।

कृषि विभाग में बरेली से लखनऊ तक घपले-घोटालों के कारनामों का ऐसा पुलंदा है कि जितनी परतें खोलोगे, उसमें परत-दर परत भ्रष्टाचार ही नजर आएगा। किसी भी घपले या घोटाले या रिश्वत मांगने या वसूल करने के प्रकरण की जांचें या तो वर्षों से लंबित पड़ी हैं या फिर उनमें जान बूझकर ऐसी जांच रिपोर्ट लगाई गई कि मानो संबंधित बाबू या अफसर पाक साफ हैं। शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता ही सबसे बड़े अपराधी हैं। खैर, अब 15 मई से कृषि निदेशालय में ट्रांसफर सीजन शुरू हो चुका है, जो कि 30 जून तक चलेगा। इस सीजन में ट्रांसफर तो कम होंगे, लेकिन ट्रांसफर या मनचाही पोस्टिंग के नाम पर वसूली ही सबसे ज्यादा होगी, जो कि हर साल होती है। यानि कि कृषि निदेशालय में बाबू और अफसर मनचाही पोस्टिंग या मनचाहा जिला देने के नाम पर मोटा लिफाफा लेते हैं। 30 जून तक उनका ही सीजन है। 

अब बरेली को ही ले लीजिए। डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय में 22 साल से जमें बाबू शिवकुमार उर्फ बुलेट राजा का ट्रांसफर बमुश्किल गोंडा में हो पाया। मगर, बुलेट राजा की सेटिंग देखिए। लखनऊ का एक चक्कर लगाया तो डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय से सिर्फ पटल बदला। अब कहने को ट्रांसफर भी हो गया। बरेली में ही जमें हुए हैं। डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के दूसरे गिरीशचंद्र उर्फ पहाड़ी बाबूु को ले लीजिए। ऊपरी कमाई से पॉश कॉलोनी में आलीशान कोठी, उत्तराखंड के हिल स्टेशन पर रिश्तेदारों के नाम से होटल, खेती लायक जमीन। सब कुछ बाबू की नौकरी करके ही खरीद ली। ईमानदार के ईमानदार। पिछले साल इनका ट्रांसफर भी हुआ तो पुराने तथ्य छुपाकर न्यायायल से स्टे ले आए। कृषि विभाग के अफसरों ने उनके स्टे का काउंटर ही नहीं किया। अब न्यायालय के स्टे की आड़ लेकर बरेली में 22 साल से नौकरी कर रहे हैं। इस ट्रांसफर सीजन में भी दोनों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ नहीं सकता। वजह सब जानते हैं। 

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ट्रांसफर होने के 11 महीने बाद भी रिलीव नहीं हुए बाबू

जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में 22 साल से कार्यरत बाबू अमित कुमार वर्मा का ट्रांसफर 29 जून 2024 को कृषि रक्षा विभाग में हो गया था। विकास भवन में जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी का कार्यालय ग्राउंड फ्लोर पर है और कृषि रक्षा विभाग का ऑफिस फर्स्ट फ्लोर पर। इन बाबू जी को ग्राउंड फ्लोर से फर्स्ट फ्लोर तक जाने में दिक्कत आई। सो ट्रांसफर होने के बाद रिलीविंग रुकवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। बरेली से लेकर रामपुर और लखनऊ तक खूब आवभगत की।  11 महीने से अब तक रिलीव नहीं हुए। अब जब इतना जुगाड़ कर रखा है तो भला ये ट्रांसफर सीजन भी इनका क्या बिगाड़ पाएगा। सूत्रों का कहना है कि जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने कृषि निदेशालय में पत्र लिखकर भेज दिया है कि अमित कुमार को रिलीव करने से कृषि विभाग का काम प्रभावित होगा। इसलिए, उनको अभी उनके दफ्तर में ही बना रहने दें। इसके बाद तो फ्री हैंड है। जिला कृषि अधिकारी के लिए अमित बाबू सबसे कमाऊ पूत हैं। उनके दफ्तर में महंगे टाइल्स से लेकर एसी भी लगवा दिया है। फिर, इनकी रिलीविंग रुकवाना तो बनता ही है। जब तक खाद की दुकानों से ऊपरी कमाई है, तब तक इनकी रिलीविंग नहीं होगी। कितना ही ट्रांसफर सीजन आ जाए।    

 

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वर्जन 

मेरे पास पहले बाबुओं के ट्रांसफर करने का अधिकार था। मगर अब यह सब अधिकार कृषि निदेशालय में ऊपर के अफसरों के पास है। रिलीव करने का अधिकार जिला कृषि अधिकारी का है। ट्रांसफर होने के बाद उनको अमित वर्मा को रिलीव कर देना चाहिए था। मैं भी कहूंगा कि उनको रिलीव कर दें। 

 

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राजेश कुमार ज्वाइंट डायरेक्टर कृषि बरेली मंडल बरेली 

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