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अक्षय तृतीया आज बुधवार को शोभन योग में मनाई जा रही है। अक्ष्य तृतीया के दिन नए पुन्य अक्षय फल देते हैं। इन दिन पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया पर आभूषण, भूमि, भवन, वाहन की खरीदारी और नया व्यापार शुरू करने एवं मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रविंद्र मिश्रा के मुताबिक अक्षय तृतीया शोभन योग में मनाई जाएगी, जो मंगलवार 29 अप्रैल को शाम 5:30 बजे से शुरू हो गई, और बुधवार दोपहर 2:11 बजे तक रहेगी। मगर उदय तिथि की प्रधानता के अनुसार अक्षय तृतीया बुधवार को पूरे दिन मनाई जाएगी। इस दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग बना रहा है। इस दिन बन रहे चतुर्ग्रही योग में हर कार्य का चौगुना फल मिलेगा।
पंडित रविंद्र मिश्रा के अनुसार अक्ष्य तृतीया के दिन घर की साफ-सफाई करना चाहिए। घर के दरवाजे पर दायीं और बायीं तरफ स्वास्ति का चिह्न और बीच में रंगोली बनाना बनाएं। कलश में साबुत चावल भर लें और उसमें सुपारी और हल्दी की गांठें रखें। कलश कलावा बांधें और कटोरी आदि से ढक दें। कलश के ऊपर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। फिर मां लक्ष्मी का आवाहन करें। गुलाब के फूल और इत्र आदि छिड़ककर वातावरण सुगंधित बनाएं। शाम को दरवाजे पर दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी को मिठाई या खीर आदि का भोग लगाएं।
पंडित मुकेश मिश्रा कहते हैं कि अक्षय तृतीया पर अपनी सामर्थ के अनुसार आभूषण, वर्तन, धातु से बनी वस्तुएं खरीदें। इतना भी न हो सके तो नमक और झाड़ू जरूर खरीदकर लाएं। इस दिन की खरीदारी का फल पूरे साल मिलता है। अक्षय तृतीया पर श्रद्धानुसार दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन किया गया कार्य अश्रय होता है। इसलिए कुछ न कुछ जरूर खरीदना चाहिए। कुछ नहीं तो मिट्टी। शाम को पूजा कर लें। लक्ष्मी आवाह्नन होता है। गुलाब का पूजन। नमक
मेष: लाल रंग के वस्त्र, मसूर की दाल, तांबे के बर्तन।
वृष: चांदी के आभूषण, चावल और बाजरा।
मिथुन: हरे रंग की चीजें, मूंग, धनिया आदि।
कर्क: चांदी के आभूषण, दूध से बनी चीजें और चावल।
सिंह: बूंदी के लड्डू, पीले फल, सोना।
कन्या: हरे रंग की चीजें, मूंग की दाल, चांदी के आभूषण।
तुला: चांदी के आभूषण, चावल, चीनी।
वृश्चिक: तांबे के बर्तन और गुण।
धनु: पीली वस्तुएं, सोने के आभूषण, केला और चावल।
मकर: लोहे से बनी चीजें, उड़द की दाल, दही।
कुंभ: लोहे से बनी चीजें और तिल।
मीन: हल्दी, पीली दाल, किला।