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पहलगाम में आतंकी हमले के बाद हर हिंदुस्तानी का पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ खून खौल उठा। बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया है। फतवा जारी कर यह पैग़ाम देने की कोशिश की गई है कि हिन्दुस्तान का हर मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ है। भारत की एकता और अखंडता मजबूत है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने संगठन से जुड़े उलेमाओं के साथ बरेली शहर के नावल्टी चौराहे के पास स्थित उपजा प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फतवे के बारे में जानकारी दी।
पहलगाम की घटना को लेकर आतंकवाद के खिलाफ जारी किया फतवा
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने फतवे में लिखा है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी घटना के बाद भारत-पाकिस्तान की जंग और फिर सीज़फायर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुन्नी बरेलवी उलेमा बृहस्पतिवार को बड़ी तादाद में इकट्ठे हुए। इस बैठक में मौजूदा सूरत-ए-हाल के मद्देनज़र उलेमा ने आतंकवाद के अहम मुद्दे पर गहन चर्चा कर एक "फतवा" आतंकवाद के खिलाफ जारी किया। यह फतवा बहराइच निवासी डॉ. अनवर रज़ा कादरी के पूछे गए सवाल के जवाब में जारी किया है।
एक व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता की हत्या है
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान फतवा जारी किया। इस मौके पर भारी तादाद में सुन्नी उलेमा भी मौजूद रहे। उन्होंने फतवे में लिखा कि, कुरान में कहा गया है कि एक व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता की हत्या है। पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने एक हदीस में कहा है कि अच्छा मुसलमान वह है जिसके हाथ, पांव और ज़ुबान से किसी को नुकसान न पहुंचे। पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने एक अन्य हदीस में कहा है कि अपने देश से प्रेम करना आधा ईमान है। उन्होंने आगे फ़रमाया कि मुसलमान जहां भी और जिस देश में रहते हैं, उन्हें उस देश की धरती से प्रेम करना चाहिए। अब इस पृष्ठभूमि में, कुरान और हदीस की रोशनी में, इस्लाम स्पष्ट रूप से आतंकवादी घटनाओं की निंदा करता है।
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ग़ैर-इस्लामी संगठन
फतवे में हाफ़िज़ सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा और मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद आदि संगठनों को ग़ैर-इस्लामी बताते हुए कहा गया कि जो लोग इस्लाम के नाम पर संगठन बना चुके हैं, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद और उनके माध्यम से लोगों की हत्या कर रहे हैं, ये सभी चीजें शरीअत की रोशनी में अवैध, नाजायज़ और हराम हैं। इस्लाम शांति और अमन का धर्म है, और समाज के हर वर्ग में शांति पसंद करता है। पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने अपने पूरे जीवन में किसी भी अनुयायी, मुस्लिम या गैर-मुस्लिम की हत्या का आदेश नहीं दिया। इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो किसी भी अन्य धर्म के अनुयाइयों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा करता है। यह सभी मनुष्यों के लिए न्याय का आदेश देता है।
इस्लाम सभी लोगों के साथ अच्छे बर्ताव का आदेश देता है
फतवे में सख़्त भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा गया है कि, इस्लाम सभी लोगों के साथ अच्छा बर्ताव और व्यवहार करने का आदेश देता है। कुछ लोग कुरान और इस्लाम में "जिहाद" के अर्थ को गलत तरीके से पेश करके इस्लाम के नाम पर एक-दूसरे को मारने की कोशिश कर रहे हैं। यह इस्लाम, कुरान और हदीस के सिद्धांतों के पूरी तरह खिलाफ है। इस्लाम ने हमें एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने के लिए भी कहा है।
इस्लाम के पैग़ंबर गैर-मुसलमानों के निमंत्रण को स्वीकार किया
फतवे में भारत में सभी धर्मों के अनुयायियों से अच्छे संबंध रखने की बात कही गई है। यह साबित है कि, इस्लाम के पैग़ंबर ने खुद गैर-मुसलमानों के निमंत्रण को स्वीकार किया, और यह भी साबित है कि उन्होंने गैर-मुसलमानों को आमंत्रित किया और जब कोई गैर-मुस्लिम बीमार पड़ा, तो वे उसका हालचाल पूछने गए। वर्तमान माहौल में, समाज के बीच अच्छे संबंधों की ज़रूरत है। चाहे वह खुशी का मौका हो या ग़म का, हमें हर स्थिति में देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहिए और एकता और भाईचारे का संदेश देना चाहिए।
पहलगाम के आतंकवादी हमले को धर्म से न जोड़ें
पहलगाम हमले पर फतवे में कहा गया है कि, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। बल्कि, यह आतंकवादी हमला क्रूर, अत्याचारी और कायरतापूर्ण है। इसलिए हम आतंकवाद का कड़ा विरोध करते हैं और इसकी निंदा करते हैं। और हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस तरह की तमाम आतंकवादी घटनाएं शरीअत की रोशनी में नाजायज़ और हराम हैं।
बैठक में बड़ी संख्या में उलेमाओं ने की शिरकत
बैठक में शाहजहांपुर से मौलाना इक़बाल फूल मियां व मौलाना तारिक, पीलीभीत से मौाना ग़ुलाम मोहिउद्दीन हशमती व मौलाना अब्दुर रशीद, बदायूं से कारी हशमत व मौलाना आलम रज़ा, रामपुर से मौलाना मुस्तकीम रज़ा व मौलाना अब्दुर रऊफ़। बरेली से मौलाना मुजाहिद हुसैन, मुफ्ती अब्दुल वाहिद, मुफ्ती हाशिम रज़ा, मौलाना हामिद नूरानी, मौलाना ज़फ़रुद्दीन, मौलाना नदीम, मौलाना अनस रज़ा, मुफ्ती क़मर रज़ा, मौलाना खुर्शीद रज़वी, हाजी नाज़िम बेग, मौलाना एजाज़ रज़वी, मौलाना सैफ़ रज़ा, हाफ़िज़ शकील आदि भारी तादाद में मस्जिद के इमामों और मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों ने भाग लिया।