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भारत-नेपाल सीमा से सटे गांवों में सरकारी योजनाओं के लाभ का झांसा देकर धर्मांतरण का खेल दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। नेपाली पादरी सिख समुदाय के लोगों को ईसाई बनाने में जुटे हैं। दो लाख रुपये, मकान और सरकारी योजनाओं का लालच देकर धर्मांतरण का प्रलोभन देते हैं। न मानने पर मारपीट और परेशान करने की बात भी सामने आई है। अब तक तीन हजार लोगों का धर्मांतरण किया जा चुका है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है।
नेपाल की सीमा से सटे बैल्हा, सिंघाडा उर्फ टाटरगंज, वमनपुरी आदि गांवों में लंबे समय से धर्मांतरण के मामले को झुठलाने में जुटे जिम्मेदारों के दावों की पोल तीन दिन पहले हजारा थाने में दर्ज हुए मुकदमे ने खोल दी है। इस मुकदमे में धर्मांतरण के विरोध पर मारपीट और अन्य बातें सामने आईं। आठ नामजद सहित 50 लोगों के लिखफ केस दर्ज किया गया है। धर्मांतरण के खेल में लिप्त पादरी दो लाख रुपये, आवास और शौचालय का लाभ दिलाने का लालच देकर सिखों को बरगला रहे हैं। कई लोगों ने इनके झांसे में आकर धर्म बदल लिया। बाद में इन लोगों को न रुपये मिले न आवास। शिकायत की तो आरोपियों ने मारपीट की गई ।
पीलीभीत की भौगोलिक स्थिति इस पूरे मामले में एक अहम भूमिका निभा रही है. नेपाल सीमा से सटा होने के कारण यहां अक्सर सीमापार गतिविधियां सक्रिय रहती हैं. जांच एजेंसियों को शक है कि नेपाल से संचालित कुछ एनजीओ और मिशनरी संगठन, जो मानव सेवा के नाम पर काम कर रहे हैं, असल में धर्मांतरण जैसे कार्यों में संलिप्त हैं। नेपाल में पहले से ही मिशनरियों की मजबूत पकड़ रही है, और वहां से सटे भारतीय इलाकों में भी उनका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीलीभीत और उसके आसपास के क्षेत्रों में धर्मांतरण की घटनाएं एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से संचालित हो रही हों.
पीलीभीत प्रशासन ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है. डीएम और एसपी ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि अब तक करीब एक दर्जन संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है. साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि इन लोगों को आर्थिक सहायता कहां से मिल रही थी और इनका संबंध किन-किन संस्थाओं से रहा है.
इसके अलावा जिले में विशेष सतर्कता बरती जा रही है और जिन गांवों में धर्मांतरण की घटनाएं हुईं, वहां काउंसलिंग कैंप भी लगाए जा रहे हैं ताकि लोगों को सच्चाई से अवगत कराया जा सके.
इस पूरे घटनाक्रम से सिख समाज बेहद आक्रोशित है. स्थानीय गुरुद्वारों और सिख प्रतिनिधि संगठनों ने सरकार से इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि यह सिर्फ धर्मांतरण नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला है.
राज्य सरकार ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार के अवैध धर्मांतरण की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही, “उत्तर प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून” के तहत सख्त कार्रवाई के आदेश भी दिए गए हैं.
देश की धार्मिक और सामाजिक एकता को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश? क्या यह पूरा नेटवर्क भारत विरोधी शक्तियों द्वारा संचालित है?, क्या इन गतिविधियों को कोई राजनीतिक या विदेशी संरक्षण प्राप्त है?,क्या पीलीभीत ही नहीं, अन्य जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं हो रही हैं?
इन सभी सवालों के जवाब जांच पूरी होने के बाद सामने आएंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह मामला सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं है. यह देश की धार्मिक और सामाजिक एकता को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश का संकेत देता है. अब ज़रूरत है कि शासन, प्रशासन और समाज इस मुद्दे को गंभीरता से लें और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी नागरिक की धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर उसे भ्रमित करके धर्म परिवर्तन न कराया जाए। धर्म स्वीकार कर लो। इसी तरह कई अन्य शिकायतें भी पुलिस प्रशासन तक पहुंची हैं।